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सर्वप्रथम स्नान कर पूजा के स्थान पर कलश स्थापना करें। इसके बाद मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र (शैलपुत्री का चित्र/ प्रतिमा उपलब्ध न होने पर मां पार्वती का चित्र/ प्रतिमा काम में ली जा सकती है) को स्नान कर, फूलमाला चढ़ाएं। देशी घी का दीपक जलाएं, धूपबत्ती जलाएं और प्रसाद में मीठा रखें। यदि मिठाई ना हो तो मिश्री प्रयोग कर सकते हैं। इसके बाद मां के सहस्त्रनाम का जाप करें। इसके बाद मां के निम्न मंत्र की कम से कम 108 बार जप करें।
यह भी पढें: शैलपुत्री माता का इकलौता मंदिर, ऐसी होती है आरती यह भी पढें: नवरात्रि के ये टोटके बदल देंगे आपकी किस्मत मां शैलपुत्री की पूजा का मंत्र निम्न प्रकार है-
वन्दे वांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
पूणेंदुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा त्रिनेत्रा।
पटांबरपरिधानांरत्नकिरीटांनानालंकारभूषिता॥
प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांतकपोलांतुंग कुचाम्।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीक्षीणमध्यांनितंबनीम्॥ यह भी पढें: नवरात्रि में इन 6 में से कोई भी एक चीज घर पर लाएं, दूर होंगी सब समस्याएं यह भी पढें: गुरुवार के दिन करें ये अचूक उपाय, धन वर्षा के साथ प्रेम संबंध के भी योग ? बनेंगे
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
पूणेंदुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा त्रिनेत्रा।
पटांबरपरिधानांरत्नकिरीटांनानालंकारभूषिता॥
प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांतकपोलांतुंग कुचाम्।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीक्षीणमध्यांनितंबनीम्॥ यह भी पढें: नवरात्रि में इन 6 में से कोई भी एक चीज घर पर लाएं, दूर होंगी सब समस्याएं यह भी पढें: गुरुवार के दिन करें ये अचूक उपाय, धन वर्षा के साथ प्रेम संबंध के भी योग ? बनेंगे
यह भी पढें: नवरात्रि में ऐसे करें घटस्थापना और दुर्गासप्तशती का पाठ शैलपुत्री अपने भक्त के लिए मां की करूणा, दया और स्नेह का सागर हैं। इनका आशीर्वाद भक्त साधक को सर्वशक्तिमान बना देता है। उस साधक को अन्य किसी सहायता की आवश्यकता नहीं होती है। वह स्वयं ही देवतुल्य होकर दूसरों को वर देने में सक्षम हो जाता है।