रमा एकादशी पूजा विधि
रमा एकादशी के व्रत के दिन व्रती सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निविवृत्त हो जाएं। इस दिन भगवान विष्णु के केशव रूप की पूजा करना चाहिए। संभव हो तो इस दिन भगवान का षोडषोपचार पूजन करें, या धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प एवं ऋतुफल से पूजा करना चाहिए। इस दिन व्रती को फलाहार रहना चाहिए, सुबह, दोपहर एवं शाम को विधिवत भगवान की पूजा करना चाहिए। इस दिन पूजा में ताजे तुलसी के पत्तों का प्रयोग करना चाहिए।
रमा एकादशी के दिन इन नियमों का पालन करें-
– इस दिन कांसे के बर्तन में भूलकर भी भोजन नहीं करना चाहिए।
– मांस मदिरा, मसूर की दाल, चने व कोदों की सब्जी एवं शहद का सेवन भी नहीं करना चाहिए ।
– भूमि शयन करते हुए कामवासना का त्याग करना चाहिए।
– व्रत वाले दिन किसी भी प्रकार के गलत काम नहीं करना चाहिए।
– इस दिन पान खाने और दातुन करने से बचना चाहिए है।
– किसी की बुराई और चुगली नहीं करना चाहिए।
– इस दिन उपावास रखने वाले जातक क्रोध न करें और न ही झूठ बोलें।
– वरूथिनी एकादशी के दिन नमक, तेल और अन्न वर्जित है।
रमा एकादशी तिथि
एकादशी तिथि 24 अक्टूबर को सूर्योदय से ही आरंभ हो जाएगी जो इसी दिन रात्रि में 10 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। रमा एकादशी के दिन संभव हो तो अधिक से अधिक समय मौन रहकर प्रभु नाम का जप करें।
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