इस्लाम के जानकारों का मानना है कि इस महीने में अल्लाह गुनाहों को माफ करता है, दुआओं को कुबूल अता फरमाता है, फरिश्तों को हुकुम देता है कि रोजा रखने वालों की दुआ पर आमीन कहो। जो शख्स ईमान के साथ अल्लाह की रजा के लिए रोजा रखता है, अल्लाह उसके सभी गुनाहों को मुआफ अता फरमाता है। वहीं इस माह में गरीबों, जरूरतमंदों, बच्चों का खास ख्याल रखने की बात भी कही जाती है। हालांकि, जो लोग रोजा रखते हैं, उन्हें कई बातों का ख्याल रखना जरूरी माना गया है। जरा सी लापरवाही से रोजा टूट सकता है। सेहरी से लेकर इफ्तार तक के समय में आपको भूलकर भी कुछ गलतियां नहीं करनी चाहिए। दरअसल माना जाता है कि रोजा सिर्फ जुबान का नहीं बल्कि आंखों और कान का भी होता है, कैसे जानने के लिए पढ़ें पत्रिका.कॉम का यह लेख…
इन छोटी छोटी गलतियों से टूट सकता है रोजा
– इस्लाम के जानकारों के मुताबिक रोजा मकरूह होने यानी टूट जाने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें आंखों का पर्दा भी एक अहम बात है।
– यानी रोजा रखने के बाद अगर रोजेदार किसी को गलत निगाहों से देखते हैं तो इससे रोजा मकरूह माना जाता है।
– झूठ बोलने या पीठ पीछे बुराई करने से भी रोजा टूट सकता है।
– सेहरी के बाद या इफ्तार से पहले जानबूझकर कुछ भी खा लेने वाले या पानी पीने वाले लोगों का रोजा भी टूट जाता है।
– रोजेदार के दांत में अगर कुछ खाना फंसा हुआ है और वह उसे अंदर निगल लेता है तो, इससे भी रोजा मकरूह हो सकता है।
– वहीं रोजेदार यदि किसी को अपशब्द कहता है, गुस्सा करता है, तो भी रोजा टूट सकता है।
– जब तक बहुत जरूरी न हो, किसी भी तरह के इंजेक्शन आदि से भी बचना चाहिए। ऐसा करने से भी रोजा टूट सकता है।