scriptरथयात्रा का पांचवां दिन : सोने की झाड़ू से होती है सफाई, जानें महाप्रभु जगन्नाथ का महा रहस्य | Rath Yatra's Fifth Day : know about mystery of prabhu Jagannath | Patrika News

रथयात्रा का पांचवां दिन : सोने की झाड़ू से होती है सफाई, जानें महाप्रभु जगन्नाथ का महा रहस्य

locationभोपालPublished: Jul 08, 2019 11:46:15 am

Submitted by:

Shyam

Jagannath Rath Yatra’s Fifth Day – महाप्रभु जगन्नाथ का एवं उनकी रथयात्रा का महा रहस्य सोने की झाड़ू से होती है सफाई

Rath Yatra's Fifth Day

रथयात्रा का पांचवां दिन : सोने की झाड़ू से होती है सफाई, जानें महाप्रभु जगन्नाथ का महा रहस्य

4 जुलाई 2019 से 10 दिवसीय रथयात्रा का महोत्सव जारी है, महाप्रभु जगन्नाथ (श्री कृष्ण) को कलियुग का भगवान भी कहते हैं, पुरी (उड़ीसा) में जग्गनाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ निवास करते हैं। मगर इस मंदिर के रहस्य ऐसे है कि आजतक कोई नहीं जान पाया।

Rath Yatra's Fifth Day

पूरे शहर की लाइट बंद

हर 12 साल में महाप्रभु की मूर्ती को बदला जाता है, उस समय पूरे पुरी शहर में ब्लैक आउट किया जाता है यानी पूरे शहर की लाइट बंद की जाती है। लाइट बंद होने के बाद मंदिर परिसर को सीआरपीएफ की सेना चारों तरफ से घेर लेती है। उस समय कोई भी सामान्य व्यक्ति मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता।

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ब्रह्म पदार्थ (रहस्य)

इस दौरान मंदिर के अंदर घना अंधेरा रहता है, पुजारी की आंखों में पट्टी बंधी होती है। पुजारी के हाथ में दस्ताने होता है और इसके बाद वे पुरानी मूर्ती से “ब्रह्म पदार्थ” निकालता है और नई मूर्ती में डाल देता है। ये ब्रह्म पदार्थ क्या है आजतक किसी को नहीं पता और इसे आजतक किसी ने भी नहीं देखा, हज़ारों सालों से ये पदार्थ एक मूर्ती से दूसरी मूर्ती में ट्रांसफर किया जा रहा है।
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पूरी प्रक्रिया हर 12 साल में एक बार

कहा जाता है की ये एक बहुत ही अलौकिक पदार्थ है जिसको छूने मात्र से किसी भी इंसान के जिस्म के चिथड़े उड़ सकते हैं। इस ब्रह्म पदार्थ का संबंध भगवान श्री कृष्ण से है, मगर ये क्या है कोई नही जानता। ये पूरी प्रक्रिया हर 12 साल में एक बार होती है, उस समय सुरक्षा बहुत ही ज्यादा होती है। मगर आजतक कोई भी पुजारी ये नही बता पाया की महाप्रभु जगन्नाथ की मूर्ती में आखिर ऐसा क्या है।

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लहरों की आवाज का चमत्कार

भगवान जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखते ही समुद्र की लहरों की आवाज अंदर सुनाई नहीं देती, जबकि आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देंगी। इस मंदिर को छोड़कर ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे-उड़ते देखे होंगे, लेकिन जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता।

 

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झंडा हमेशा हवा की उल्टी दिशा में लहराता है

दिन में किसी भी समय भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती। भगवान जगन्नाथ मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोज बदला जाता है, ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा। इसी तरह भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है, जो हर दिशा से देखने पर आपके मुंह आपकी तरफ दीखता है।

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मिट्टी के 7 बर्तन का चमत्कार

भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए मिट्टी के 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, जिसे लकड़ी की आग से ही पकाया जाता है, इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है। भगवान जगन्नाथ मंदिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिए कभी कम नहीं पड़ता, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि जैसे ही मंदिर के पट बंद होते हैं वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है।

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सोने की झाड़ू से होती है सफाई

कुछ पुजारियों का कहना है कि जब हमने उसे हाथ में लिया तो खरगोश जैसा उछल रहा था, आंखों में पट्टी थी, हाथ में दस्ताने थे तो हम सिर्फ महसूस कर पाएं। वर्तमान में भी हर साल जगन्नाथ यात्रा के उपलक्ष्य में सोने की झाड़ू से पुरी के राजा खुद झाड़ू लगाने आते हैं।

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