श्रावण अमावस्या मुहूर्त 2021…
अमावस्या तिथि की शुरुआज 19:13:35 से अगस्त 7, 2021 से
अमावस्या तिथि समाप्ति 19:21:46 को अगस्त 8, 2021 तक
अमावस्या के दिन नदी में स्नान कर दान-पुण्य और पितृ तर्पण करना लाभकारी माना जाता है। मान्यता है कि अमावस्या तिथि को व्यक्ति को बुरे कर्म और नकारात्मक विचारों से भी दूर रहना चाहिए। इस साल यानि 2021 में कुल 14 अमावस्या पड़ेंगी। साल की पहली अमावस्या 12 जनवरी को पड़ी।
श्रावण अमावस्या व्रत और धार्मिक कर्म
सावन मास में बारिश के आगमन से धरती का कोना-कोना हरा-भरा होकर खिल उठता है। चूंकि श्रावण अमावस्या पर पेड़-पौधों को नया जीवन मिलता है और इनकी वजह से ही मानव जीवन सुरक्षित रहता है, इसलिए प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी हरियाली अमावस्या का बहुत महत्व है। इस दिन किये जाने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं-
: इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें।
: पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें।
: इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है और इसके फेरे लिये जाते हैं।
: हरियाली अमावस्या पर पीपल, बरगद, केला, नींबू, तुलसी आदि का वृक्षारोपण करना शुभ माना जाता है। क्योंकि इन वृक्षों में देवताओं का वास माना जाता है।
: वृक्षारोपण के लिये उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपदा, रोहिणी, मृगशिरा, रेवती, चित्रा, अनुराधा, मूल, विशाखा, पुष्य, श्रवण, अश्विनी, हस्त आदि नक्षत्र श्रेष्ठ व शुभ फलदायी माने जाते हैं।
: सावन हरियाली अमावस्या के दिन हनुमान मंदिर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। साथ ही हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
धार्मिक और प्राकृतिक महत्व की वजह से श्रावण अमावस्या बहुत लोकप्रिय है। दरअसल इस दिन वृक्षों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए इसे हरियाली अमावस्या के तौर पर जाना जाता है। वहीं धार्मिक दृष्टिकोण से इस दिन पितरों का पिंडदान और अन्य दान-पुण्य संबंधी कार्य किये जाते हैं।