प्रदोष काल में ऐसे करें शनि देव की पूजा
शनि देव की पूजा के बारे में ये बात कम ही लोगों की जानकारी में होगी कि शनि अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा प्रदोष काल या रात में की ही जाती है। अगर इस दिन कोई व्रत रखता है तो उसके लिए बड़ा ही लाभकारी दिन माना गया है। इस दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीप जला जलाना चाहिए। दीपक जलाने के बाद श्रीशनि चालीसा का पाठ तीन बार करें। चालीसा का पाठ करने से पूर्व इस शनि मंत्र का 251 बार रुद्राक्ष की माला से जप करें।
श्री शनि देव मंत्र
।। ॐ शं शनैश्चराय नमः।।
मंत्र जप के पहले या बाद में यह भी करें1- शनि अमावस्या के दिन सूर्यास्त के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का आटे वाला दीपक जलाएं।
2- एक काला धागा पीपल वृक्ष की डाल में बांधे और उसमें तीन गांठ लगाएं, ऐसा करने से एक साथ अनेक परेशानियों से शीघ्र ही छुटकार मिलेगा।
3- इस दिन सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या भी है इसलिए अपने पूर्वज पित्रों के निमित्त दोपहर में श्राद्ध कर्म करें एवं सूर्यास्त के समय घर के आंगन तुलसी में एवं पीपल वृक्ष के नीचे दो-दो दीपक अवश्य जलाना चाहिए।
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मंत्र जप के पहले या बाद में यह भी करें
– शनि अमावस्या के दिन सूर्यास्त के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का आटे वाला दीपक जलाएं।
– एक काला धागा पीपल वृक्ष की डाल में बांधे और उसमें तीन गांठ लगाएं, ऐसा करने से एक साथ अनेक परेशानियों से शीघ्र ही छुटकार मिलेगा।
– इस दिन सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या भी है इसलिए अपने पूर्वज पित्रों के निमित्त दोपहर में श्राद्ध कर्म करें एवं सूर्यास्त के समय घर के आंगन तुलसी में एवं पीपल वृक्ष के नीचे दो-दो दीपक अवश्य जलाना चाहिए।
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