शरद पूर्णिमा : चांद की रोशनी में जरूर करें ये काम, असाध्य रोगों से मिल जाएगी मुक्ति
शरद पूर्णिमा की रात में इन मंत्रों का करें जप
शरद पूर्णिमा की रात को जब चन्द्रमा अपनी सोलह कलाओं का प्रकाश आकाश से धरती पर बिखेरता है, उसी दिव्य समय में जो भी इन मंत्रों का रात 11 बजे से लेकर रात 1 बजे के बीच गंगाजल मिलेजल से स्नान करने के बाद खुले आकाश के नीचे कुशा का पीला आसन बिछाकर उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जायें। अब शीतल चन्द्रमा का ध्यान, आवाहन करके तुलसी या कमल गट्टे की माला से नीचे दिये गये तीन वेद मंत्रों श्रद्धा पूर्वक जप करें। जप पूरा होने के बाद तांबे के लोटे भर शुद्ध जल का अर्घ्य ऊँ चंद्राय नमः बोलते हुए छोड़ें । ऐसा करने से सभी प्रकार की भौतिक एं आध्यात्मिक इच्छाओं को चन्द्रदेव पूर्णता प्रदान कर देते हैं।
1- गायत्री महामंत्र का 1000 बार (दस माला) जप करें।
मंत्रः
।। ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात् ।।
2- चन्द्र मन्त्र- इस मंत्र का भी 1000 बार जप करना है।
मंत्र
।। ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे, अमृततत्वाय धीमहि। तन्नो चन्द्रः प्रचोदयात् ।।
मंत्र
3- महामृत्युंजय मन्त्र का 108 बार जप करना है।
महामृत्युंजय मन्त्र-
।। ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
शरद पूर्णिमा की रात का यह उपाय बना देगा महाकरोड़पित, हो जाएगी हर इच्छा पूरी
शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की विशेष पूजा करने से चन्द्रमा की सोलह कलाओं से बरसने वाला संपूर्ण अमृत उपरोक्त मंत्र का जप करने वाले साधक को मिलता है। मंत्र का जप पूरा होने के बाद चांदी के किसी बर्तन में देशी गाय के कच्चे गाय का दुध अर्घ्य देने से सुख सौभाग्य में निरंतर वृद्धि होती रहती है।
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