मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को क्यों कहा जाता है चंद्रघंटा दरअसल, मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा है। मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग सोने के सामान है और इनके 10 हाथ हैं। इनके हाथों में खड़ग, अस्त्र शस्त्र और कमंडल है। माना जाता है कि माता के इस स्वरूप की पूजा करने से अहंकार नष्ट हो जाता है। मां चंद्रघंटा तंभ साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती है और ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से होता है।
ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा मां चंद्रघंटा की तस्वीर या प्रतिमा को सुंदर ढंग से सजाकर फूल-माला अर्पण करें। उसके बाद माता को मां को लाल फूल चढ़ाएं, लाल सेब और गुड़ चढाएं, घंटा बजाकर पूजा करें, ढोल और नगाड़े बजाकर पूजा और आरती करने से शुत्रुओं की हार होगी। इस दिन गाय के दूध का प्रसाद चढ़ाने का विशेष विधान है। माना जाता है कि ऐसा करने से हर तरह के दुखों से मुक्ति मिलती है।
इस मंत्र का करें जप शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करते वक्त मन, वचन और कर्म से शुद्ध होकर इस मंत्र का 108 बार जप करें… या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मां चंद्रघंटा की पूजा से क्या फल मिलता है मां चंद्रघंटा की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है और अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक को दिव्य सुंगधियों का अनुभव होता है और कई प्रकार की ध्वनियां सुनाई देने लगती हैं। इनकी कृपा से भक्त इस संसार में सभी प्रकार के सुख प्राप्त कर मृत्यु के पश्चात मोक्ष को प्राप्त करता है।