नवरात्र में ऐसे करें पूजा नवरात्र में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शुद्घ जल से स्नान करें। इसके बाद घर के किसी पवित्र स्थान पर स्वच्छ मिट्टी से वेदी बनाएं। वेदी में जौ और गेहूं दोनों को मिलाकर बोएं। वेदी के पास धरती मां का पूजन कर वहां कलश स्थापित करें। इसके बाद सबसे पहले प्रथम पूज्य श्रीगणेश की पूजा करें, फिर वेदी के किनारे पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच देवी मां की प्रतिमा स्थापित करें। मां दुर्गा की कुमकुम, चावल, पुष्प, इत्र इत्यादि से विधिपूर्वक पूजा करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
नवरात्रि में ये न करें पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना की जाती है, इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। इनकी उपासना से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
मां शैलपुत्री का स्वरुप आदि शक्ति ने अपने इस रूप में शैलपुत्र हिमालय के घर जन्म लिया था, इसी कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प रहता है।
मां शैलपुत्री की पूजा विधि मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें और उसके नीचे लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। इसके ऊपर केशर से शं लिखें और उसके ऊपर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखें। इसके बाद हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें और मंत्र बोलें…
मंत्र: ‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम:’ मंत्र के साथ ही हाथ के पुष्प मनोकामना गुटिका व मां की तस्वीर के ऊपर छोड दें। इसके बाद भोग प्रसाद अर्पित करें और मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें। यह जप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
मंत्र: ‘ऊँ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।’ मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद मां के चरणों में अपनी मनोकामना को व्यक्त करते हुए मां से प्रार्थना करें और श्रद्धा से आरती कीर्तन करें।
मां शैलपुत्री को ये लगाएं भोग
मां शैलपुत्री को ये लगाएं भोग
मां शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी अर्पित करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और उनका मन एवं शरीर निरोगी रहता है।