आज तीन फरवरी को फाल्गुन माह में मकर राशि में शनिवार को धनिष्ठा नक्षत्र में शुक्र पश्चिम दिशा में स्वर्णद्वार में उदय हो गया है। शुक्र अस्त का नक्षत्र ज्येष्ठा और उदय होने का नक्षत्र धनिष्ठा दोनों ही राक्षसगण के नक्षत्र होने से पश्चिमी देशों में इसका विपरीत प्रभाव दिखाई देगा। यह समुद्री दुर्घटनाओं की ओर संकेत करता है। पं. दाधीच ने बताया कि स्वर्णद्वार में शुक्र उदय हुआ है। इससे यह सुख-समृद्धि कारक रहेगा और प्रजा में खुशहाली का वातावरण बनेगा।
पहला बड़ा सावा छह को
पहला सावा 6 फरवरी को आठ रेखा का रहेगा। इसके बाद सर्वदेशीय शुभ मुहूर्त में सात फरवरी को सात रेखा, 18 फरवरी 9 रेखा और 17 फरवरी को फुलेरा दोज का सावों के लिए स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त रहेगा।
पहला सावा 6 फरवरी को आठ रेखा का रहेगा। इसके बाद सर्वदेशीय शुभ मुहूर्त में सात फरवरी को सात रेखा, 18 फरवरी 9 रेखा और 17 फरवरी को फुलेरा दोज का सावों के लिए स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त रहेगा।
इस माह रहेगी शादियों की धूम
ज्योतिषी पंडित गोविन्द शर्मा ने बताया कि इस बार मकर संक्रान्ति के बाद भी शुक्र अस्त होने से मांगलिक और शुभ कार्यों पर विराम लगा हुआ था। शुक्र उदय होने से इस माह सूने पड़े विवाह स्थलों पर रौनक लौटेगी और शादियों की धूम रहेगी। उन्होंने बताया कि तीन फरवरी को शुक्र उदय हो जाएगा, लेकिन इसके बाद तीन दिन तक बालत्व काल का दोष होने के कारण शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
ज्योतिषी पंडित गोविन्द शर्मा ने बताया कि इस बार मकर संक्रान्ति के बाद भी शुक्र अस्त होने से मांगलिक और शुभ कार्यों पर विराम लगा हुआ था। शुक्र उदय होने से इस माह सूने पड़े विवाह स्थलों पर रौनक लौटेगी और शादियों की धूम रहेगी। उन्होंने बताया कि तीन फरवरी को शुक्र उदय हो जाएगा, लेकिन इसके बाद तीन दिन तक बालत्व काल का दोष होने के कारण शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
23 फरवरी को होलाष्टक से फिर विराम…
मांगलिक कार्यों पर 23 फरवरी को होलाष्टक शुरू होने से फिर विराम लग जाएगा। इस दौरान आठ दिन तक कोई शुभकार्य नहीं हो सकेंगे। होलिका दहन के बाद होलाष्टक का दोष समाप्त हो जाएगा। इसके बाद 3 मार्च से फिर शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। इसके बाद तीन मार्च, छह और आठ मार्च को सावा है। 14 मार्च से मीन मल मास शुरू होगा जो कि 13 अप्रेल तक रहेगा। इस दौरान भी मांगलिक कार्य बंद रहेंगे।
मांगलिक कार्यों पर 23 फरवरी को होलाष्टक शुरू होने से फिर विराम लग जाएगा। इस दौरान आठ दिन तक कोई शुभकार्य नहीं हो सकेंगे। होलिका दहन के बाद होलाष्टक का दोष समाप्त हो जाएगा। इसके बाद 3 मार्च से फिर शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। इसके बाद तीन मार्च, छह और आठ मार्च को सावा है। 14 मार्च से मीन मल मास शुरू होगा जो कि 13 अप्रेल तक रहेगा। इस दौरान भी मांगलिक कार्य बंद रहेंगे।