ज्योतिषियों के अनुसार, सोमवार को त्रयोदशी तिथि आने पर इसे सोम प्रदोष कहते हैं। यह व्रत रखने से इच्छा अनुसार फल की प्राप्ति होती है। जिसका चंद्र खराब असर दे रहा है, उनको तो यह प्रदोष व्रत जरूर नियम पूर्वक रखना चाहिए।
सोम प्रदोष व्रत का मुहूर्त मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 9 दिसंबर को सुबह 09.54 बजे से प्रारंभ हो रही है, जो 10 दिसंबर को सुबह 10.44 बजे तक है। इस दिन पूजा का मुहूर्त शाम को 5.25 बजे से रात को 8.08 बजे तक है। माना जा रहा है कि इस मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा-अर्चना विशेष फलदायी होगी।
व्रत और पूजा विधि प्रदोष में बिना कुछ खाए व्रत रखने का विधान है। अगर आपके के लिए ऐसा करना संभव ना हो तो आप एक समय फल का सेवन कर सकते हैं। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव की उपासना करना चाहिए।
इस दिन भगवान शिव-पार्वती और नंदी को पंचामृत एवं गंगाजल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फल-फूल, धूप, दीप, नैवेद्यं, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं। शाम के समय एक बार फिर से स्नान करने के बाद शुभ मुहूर्त में शिवजी की पूजा करें। भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं और आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं, तत्तपश्चात भगवान शिव की आरती करें।
रात में भगवान शिव की उपासना करें और शिव मंत्रों का जाप करें। माना जाता है कि इस तरह व्रत और पूजन करने से हर इच्छा पूरी हो जाती है ज्योतिषियों के अनुसार, सोम प्रदोष के शुभ योग में पारद शिवलिंग को घर के पूजा स्थान पर स्थापित करना चाहिए। माना जाता है कि सोम प्रदोष के दिन से पारद शिवलिंग की पूजा घर में हर दिन की जाए तो सभी प्रकार के दोष ( पितृ दोष, कालसर्प दोष, वास्तु दोष आदि ) अपने आप ही धीरे-धीरे समाप्त होने लगते हैं।