अष्टमी जया संज्ञक तिथि सायं ४.१५ तक, इसके बाद नवमी रिक्ता संज्ञक तिथि है। अष्टमी तिथि में नाचना, स्त्री, रत्न, अलंकार, शस्त्र धारण, वास्तु कर्म व विवाहादि कार्यों सहित प्रतिष्ठादिक कार्य शुभ होते हैं। पर नवमी तिथि में विग्रह, कलह, जुआ, मद्य, शिकार व बंधन आदि विषयक कार्य करने योग्य हैं। नक्षत्र: चित्रा ‘मृदु व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र अंतरात्रि ३.०४ तक, तदन्तर स्वाति ‘चर व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। चित्रा नक्षत्र में यथा आवश्यक शांति, पुष्टता, कारीगरी, वास्तु, अलंकार, वस्त्र, जनेऊ, कृषि व अन्य स्थिर कार्य करने चाहिए। चन्द्रमा: चन्द्रमा दोपहर बाद २.२० तक कन्या राशि में, इसके बाद तुला राशि में रहेगा।
योग: सुकर्मा नामक योग अंतरात्रि अगले दिन सूर्योदय पूर्व प्रात: ५.१२ तक, इसके बाद धृति नामक योग है। दोनों ही नैसर्गिक शुभ योग है। शुभ मुहूर्त: उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार आज चित्रा नक्षत्र में हल प्रवहण का शुभ मुहूर्त है। अन्य किसी शुभ व मांगलिक कार्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं है।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज प्रात: ९.५८ से दोपहर बाद १.५२ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा अपराह्न ३.१० से सायं ४.२८ तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१३ से १२.५४ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
राहुकाल: अपराह्न ३.०० से सायं ४.३० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।