सांसारिक जीवन में हम थोड़े से लाभ के लिए यात्रा के कष्ट, धूप की गर्मी और कठोर सर्दी को भी आसानी से सहन कर लेते हैं
रोजा इफ्तार व सहरी का वक्त मुफ्ती अहमद हसन साहब: इफ्तार – शनिवार: 7.24, सहरी – रविवार: 4.10
दारूल-उल रजविया: इफ्तार – शनिवार: 7.28, सहरी – रविवार: 4.04
शिया इस्ना अशरी मस्लक: इफ्तार – शनिवार: 7.36 सहरी – रविवार: 3.50
मुफ्ती-ए-शहर सांसारिक जीवन में हम थोड़े से लाभ के लिए यात्रा के कष्ट, धूप की गर्मी और कठोर सर्दी को भी आसानी से सहन कर लेते हैं। थोड़ा-सा लाभ ही एक किसान को तेज सर्दी में भोर अंधेरे में ही खेत तक पहुंचा देता है और लू के थपेड़ों एवं सूर्य की तपिश में भी वह खेत जोतने को तैयार रहता है। इसी प्रकार एक रोजेदार की मेहनत, दिन की भूख और प्यास तथा उसकी रातों का जागना, उस लाभ के सामने बहुत आसान है, जो उसे मरने के पश्चात् जन्नत (स्वर्ग) के रूप में प्राप्त होगा। इसमें वह हमेशा-हमेशा के लिए ऎशो-आराम से रहेगा।
– मुफ्ती हकीम अहमद हसन