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आज है श्रीगणेश अंगारकी चतुर्थी, इस पूजा से होंगे पूरे सब काम

Published: Dec 14, 2015 04:26:00 pm

गणेश पुराण में भगवान गणेश
का दिया गया वरदान कि मंगलवार के दिन चतुर्थी तिथि अंगारकी चतुर्थी के नाम
प्रख्यात होगी आज भी उसी प्रकार से स्थापित है

ganeshji ganpati

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श्रीगणेश अंगारकी चतुर्थी व्रत का पालन जो भक्त करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। व्यक्ति को मानसिक तथा शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलता है। यह गणेश चतुर्थी मंगलवार के दिन होने के फलस्वरूप अंगारकी चतुर्थी के नाम से जानी जाती है। अंगारकी गणेश चतुर्थी के विषय में गणेश पुराण में विस्तारपूर्वक उल्लेख मिलता है, कि किस प्रकार भगवान गणेश का दिया गया वरदान कि मंगलवार के दिन चतुर्थी तिथि अंगारकी चतुर्थी के नाम प्रख्यात होगी आज भी उसी प्रकार से स्थापित है।

अंगारकी चतुर्थी का व्रत मंगल भगवान और गणेश भगवान दोनों का ही आशीर्वाद प्रदान करता है तथा किसी भी कार्य में कभी विघ्न नहीं आने देता है। मंगलवार के दिन चतुर्थी का संयोग अत्यन्त शुभ एवं सिद्धि प्रदान करने वाला होता है। भक्त को संकट, विघ्न तथा सभी प्रकार की बाधाएँ दूर करने के लिए इस व्रत को अवश्य करना चाहिए। चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा का विशेष नियम बताया गया है। भगवान गणेश समस्त संकटों का हरण करने वाले होते हैं।

अंगारकी चतुर्थी पूजन

गणेश को सभी देवताओं में प्रथम पूज्य एवं विध्न विनाशक माना जाता है। भगवान गणेश बुद्धि के देवता हैं, इनका उपवास रखने से मनोकामना की पूर्ति के साथ साथ बुद्धि का विकास व कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। भगवान गणेश को चतुर्थी तिथि बेहद प्रिय है, व्रत करने वाले व्यक्ति को इस तिथि के दिन प्रात: काल में ही स्नान व अन्य क्रियाओं से निवृत होना चाहिए। इसके पश्चात उपवास का संकल्प लेना चाहिए।

संकल्प लेने के लिये हाथ में जल व दूर्वा लेकर गणपति का ध्यान करते हुए, संकल्प में यह मंत्र बोलना चाहिए मम सर्वकर्मसिद्धये सिद्धि विनायक पूजनमहं करिष्ये। इसके पश्चात सोने या तांबे या मिट्टी से बनी प्रतिमा चाहिए। इस प्रतिमा को कलश में जल भरकर, कलश के मुंह पर कोरा कपडा बांधकर, इसके ऊपर प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। पूरा दिन निराहार रहते हैं। संध्या समय में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। रात्रि में चन्द्रमा के उदय होने पर उन्हें अघ्र्य दिया जाता है।



अंगारकी गणेश चतुर्थी कथा

गणेश चतुर्थी के साथ अंगारकी का संबोधित होना इस बात को व्यक्त करता है कि यह चतुर्थी मंगलवार के दिन सम्पन्न होनी है। धर्म ग्रंथों में अंगारकी गणेश चतुर्थी के विषय में विस्तार पूर्वक उल्लेख मिलता है जिसके अनुसार, पृथ्वी पुत्र मंगल देवजी ने भगवान गणेश को प्रसन्न करने हेतु बहुत कठोर तप किया। मंगल देव की तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने उन्हें दर्शन दिए और चतुर्थी तिथि का संयोग जब भी मंगलवार अर्थात अंगारक के साथ आएगा उस तिथि को अंगारकी गणेश चतुर्थी के नाम से संबोधित होने का आशीर्वाद प्रदान किया।

इसी कारण मंगलवार के दिन चतुर्थी तिथि होने पर यह चतुर्थी अंगारक कहलाती है। भगवान गणेश की पूजा से समस्त देव पूजित हो जाते हैं, यदि कोई इस दिन गं गौं गणपतये नम: मंत्र का जाप करता है, तो निश्चय ही व्यक्ति को समस्त कार्यो में सफलता प्राप्त होती है।


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