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ILFS बांड से 47 लाख लोगों के फंस गए एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, केंद्र सरकार की फांस बन सकता है मामला

Published: Feb 25, 2019 07:33:45 am

Submitted by:

Saurabh Sharma

पीएलआई पॉलिसी धारकों की सूची में 2016-17 के आखिर में 2,13,323 नई पॉलिसी जुड़ी जिसकी बीमा रकम 11,096.67 करोड़ रुपए है।

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ILFS बांड से 47 लाख लोगों के फंस गए एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, केंद्र सरकार की फांस बन सकता है मामला

नई दिल्ली। इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशिययल सर्विसेज लिमिटेड (IL&FS) बांड का जहर रह तेजी से फैल रहा है। इसका वायरस बचतकर्ताओं के अपेक्षाकृत बड़े निकाय तक फैल चुका है और यह आगामी आम चुनाव से पहले सरकार के लिए अच्छी खबर नहीं है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता बृंदा करात ने आईएल एंड एफएस के इन अत्यंत खराब बांड में 15 लाख वेतनभोगियों के फंसने पर चिंता जाहिर की है। अब इस बांड में डाक जीवन बीमा (पीएलआई)पॉलिसी धारकों के फंसने से सीधे तौर पर सरकार के लिए गंभीर चिंता पैदा होगी।

ये हैं आंकड़ें
आंकड़ों पर बात की जाए तो पीएलआई पॉलिसी धारकों की सूची में 2016-17 के आखिर में 2,13,323 नई पॉलिसी जुड़ी जिसकी बीमा रकम 11,096.67 करोड़ रुपए है। वित्त वर्ष 2016-17 के आखिर में कुल पॉलिसी की संख्या 46.8 लाख थी और कुल रकम 1,13,084.31 करोड़ रुपए थी जोकि अपने आप में बड़ी राशि है। वित्त वर्ष 2016-17 के अंत में शेष निधि 55,058.61 करोड़ रुपए थी जबकि किस्त से प्राप्त आय 7,233.89 करोड़ रुपए थी।

खराब निवेश में फंसे र्इपीएफआे कर्मचारी
वेतनभोगी कर्मचारियों का समुदाय कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में जमा अपने धन को लेकर चिंतित हैं। IL&FS के अब तक के बड़े संकट के चलते ये कर्मचारी खराब निवेश में फंस गए हैं। इनमें से अधिकांश कर्मचारी भविष्य निधियों और कर्मचारी पेंशन निधियों ने पहले ही कहा है कि IL&FS समाधान योजना में सेक्योर्ड क्रेडिटर्स के समक्ष भुगतान किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनी की प्रस्तावित समाधान रूपरेखा में सिक्योर्ड क्रेडिटर्स को किसी प्रकार का भुगतान करने की बात नहीं कही गई है।

पीएलआर्इ बीमा का इतिहास
पीएलआई भारत में सबसे पुरानी बीमा कंपनी है जिसका गठन ब्रिटिश शासन काल में एक फरवरी 1884 में किया गया था। शुरुआत में बीमा कंपनी का गठन डाक कर्मचारियों के कल्याण के लिए किया गया था। उनकी योजनाएं खासतौर से सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए हैं। यह 1894 में डाक एवं संचार विभाग की महिला कर्मचारियों को कवर करने वाली पहली बीमा कंपनी बन गई। यह काफी लोकप्रिय है क्योंकि भारतीय जीवन बीमा बाजार में आज एकमात्र कंपनी है जो बाजार में मौजूद किसी उत्पाद पर सबसे कम प्रीमियम के साथ सबसे ज्यादा रिटर्न देती है। पीआईएल के पास 1884 में कुछेक सौ पॉलिसी थीं जो 31 मार्च 2017 को बढ़कर 46 लाख हो गई।

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