ऐसा होने पर सबसे पहले अपने बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर फोन करके इसकी जानकारी दें। अगर नंबर पर कॉल करने के बाद कोई तकनीकी समस्या आ जाए या आपकी समस्या का सामाधन ना मिले तो आप तुरंत आपने नजदीकी बैंक जाकर इसकी जानकारी दें। आप बैंक कर्मचारियों से कहे की वो आपकी समस्या का समाधान करें।
अगर आपको बैंक में भी अपनी समस्या का समाधान नहीं मिला या आपकों ऐसा लगता है कि वो इस काम में देरी कर रहे है तो वहां के ब्रांच मैनेजर से मिले। मैनेजर को जल्द से जल्द आपकी समस्या का समाधान निकालने को कहे।
अगर इसके बावजूद भी आपकी समस्या का हल नहीं हुआ है तो आप शिकायत कक्ष में जा सकते हैं। ये जनरल मैनेजर के नेतृत्व में होती है और ग्राहकों की समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान करती है। बैंक की वेबसाइट पर पोस्ट की गई शिकायतों को भी इस विभाग द्वारा हल किया जाता है। अगर आपको लगता है की यहां भी आपकी समस्या पर कोई काम नहीं कर रहा है तो आप बैंकिंग लोकपाल के पास जा सकते है। भारतीय रिजर्व बैंक ने इसे ग्राहकों की शिकायतों को हल करने के लिए बनाया है। इस योजना में वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से लेकर अनुसूचित प्राथमिक और सहकारी बैंकों तक शामिल है। इन के ऑफिस नंबर से लेकर पता तक सब आपकों रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर मिल जायेगी।
अभी भी आपकी समस्या का हल नहीं किया गया गया तो आप राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के पास जा सकते है। ये राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग http://ncdrc.nic.in/ की वेबसाइट है। ये बैंक प्रणाली के सबसे बड़े लोग है। ये लोग ग्राहकों को उनकी समस्याओं का हल देते है और उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार बैंक को पकड़ते है।
इसके बाद भी आपको लगता है की आपकी समस्या का कोई समाधान नहीं निकला है तो आप आपने नजदीकी कोर्ट में जाकर बैंक के खिलाफ केस दर्ज करा सकते हैं। ये आपकी समस्या का आखिरी हल है। यहां तक कि आप बैंक पर उत्पीड़न का भी आरोप लगा सकते हैं।