आरबीआई ने जारी की रिपोर्ट
रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार बैंकों के फंसे कर्ज के बारे में अगर जल्द से जल्द पता चल जाता है तो उससे बैंकों को काफी फायदा मिलता है और एनपीए पर कंट्रोल करने में भी काफी सहायता मिलती है। गैर-निष्पादित ऋण में ताजा वृद्धि का स्तर भी कम होने से इस तरह के कर्ज के लिये बैंकिंग तंत्र में होने वाला प्रावधान का अनुपात समीक्षाधीन अवधि के दौरान 60.9 फीसदी तक बढ़ गया। सरकार के इस संकेत से बैंकों को काफी फायदा मिलेगा।
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सही समय पर पता चली समस्या
आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने गुरुवार को साल 2018-19 की वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि समस्या का सही समय पर पता चलने और उसका सही समाधान होने के बाद ही एनपीए में कमी आई। सरकार ने इस साल एनपीए को कम करने के लिए कई कदम उठाए।
गेमचेंजर है IBC
रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरुआती कठिनाइयों के बाद इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) बैंकिंग सिस्टम का पूरा माहौल बदलने वाला कदम साबित हो रहा है। यह एक तरह से गेमचेंजर साबित हुआ है। पुराने फंसे कर्ज की रिकवरी में सुधार आ रहा है और इसके परिणामस्वरूप, संभावित निवेश चक्र में जो स्थिरता बनी हुई थी, उसमें सुगमता आने लगी है।
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2.7 करोड़ की पूंजी का आवंटन
इसके साथ ही आरबीआई ने कहा कि पूंजी बफर को 2.7 लाख करोड़ रुपये की नई पूंजी डालकर मजबूत किया गया है। इसमें 2019- 20 के बजट का आवंटन भी शामिल है। इसके साथ ही दबाव हल्का होने से बैंक का लोन प्रवाह बढ़ने की उम्मीद भी बढ़ गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2019 में एनपीए पहचान और समाधान के नियमों से समस्या के जल्द समाधान की उम्मीद बढ़ी है। इसमें कर्जदाताओं को अधिक तवज्जो दी गई है।
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