बताया जाता है कि अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाता है तो उसके जमाकर्ताओं को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सब्सिडियरी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) के मुताबिक 5 लाख रुपए मिलेंगे। चाहे उनके खाते में पहले कितनी भी रकम हो। पहले चल रहे नियम के मुताबिक अधिकतम सीमा 1 लाख रुपए थी। जिसे बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी 2020 को पेश किए बजट में इसे बढ़ा दिया था। DICGC एक्ट, 1961 की धारा 16 (1) के नियमों के मुताबिक बैंक के डिफॉल्टर घोषित होने पर उसमें मौजूद खाता धारकों को जमा राशि पर 5 लाख रुपये तक का बीमा मिलेगा।
अगर किसी खाता धारक ने एक ही बैंक के कई अलग-अलग ब्रांच में अकाउंट खोल रखा है और ऐसी स्थिति में वो बैंक डूबता है तो आपके सारे ब्रांच के अकाउंट को मिलाकर पैसा जोड़ा जाएगा। अगर इन सबको मिलाकर आपके 5 लाख रुपए से ज्यादा होते हैं तब भी आपको सारे पैसे वापस नहीं मिलेंगे। आपको महज 5 लाख रुपए ही बतौर बीमा राशि दी जाएगी। इसके अलावा अगर आपकी एफडी भी है तो बैंक के डूब जाने के बाद आपको एक लाख रुपए दिए जाएंगे। यह रकम किस तरह मिलेगी, यह गाइडलाइंस DICGC तय करेगा।