बैंकों ने सरकार आैर आरबीआइ को किया सतर्क
कर्इ बड़ें बैंकों ने सरकार आैर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) को पहले से ही सतर्क कर दिया है कि मु्द्रा लोन में एनपीए बढ़ सकता है। फिलहाल बैंक सरकार आैर अारबीआइ के तरफ से अगले निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो मुद्रा योजना के तहत दिए गए लोन के तौर-तरीकों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उनका कहना है कि इस बात की भरपूर संभावना है कि लोन देने की प्रक्रिया में कोर्इ गड़बड़झाला है। वित्त मंत्रालय इसकी भी जांच करने की तैयारी में है।
कितने लोगों को मिला लाभ
मुद्रा योजना के लाॅन्च हाेने के बाद से सरकार ने इसकी सफलता को लेकर जो दावे किए थे उसकी भी पोल खुलती दिखार्इ दे रही है। सरकार के इस महात्वाकंक्षी योजना के तहत अब तक 12 करोड़ 78 लाख लोगों को खुद के व्यवसाय के लिए लाेन दिया जा चुका है। इसके तहत तीन अलग-अलग कैटेगरी के तहत लोन दिया गया था जिसमें शिशु, किशोर आैर युवावर्ग शामिल है। शिशु कैटेगरी के तहत 50 हजार रुपए, किशोर कैटेगरी के तहत 5 लाख रुपए आैर युवा कैटेगरी के तहत 5 से 10 लाख रुपए लोन के रूप में दिए जाते हैं। किशोर कैटेगरी के तहत अब तक 1.3 फीसदी लोगों को ही लोन दिया गय है। इसका मतलब है कि लोन दिए जाने वाले 12 करोड़ 78 लाख लोगों में से केवल 17 लाख 57 लोग ही एेसे हैं जिन्हे माेटी रकम में लोन दिया गया है। इससे ये भी साफ हो जाता है कि मु्द्रा योजना के तहत लोन लेने के लिए कारोबार करने वालों की संख्या काफी कम है।
सरकार को नहीं पता कि योजना से कितने लोगों ने शुरू किया रोजगार
चौकाने वाली बात ये भी है कि सरकार को अभी तक इस बात के अांकड़े ही नहीं हैं कि इस योजना के तहत लोन लेकर आखिर कितने रोजगार मार्केट में आएं है। सूत्रों के अनुसार, सरकार का मानना है कि जितने लोगों ने मुद्रा योजना के तहत लोन लिए है उतने रोजगार तो मार्केट में अाए ही है। वहीं ये योजना बैंकों के लिए भी सिरदर्द बनता जा रहा है। हालांकि सरकार के दबाव में आकर ये बैंक मुद्रा योजना के तहत लोन बांट रहे हैं। इस योजना के तहत लिए जाने वाले छोटे लोन से बैंकों को फायदा कम आैर खर्च ज्यादा होता है।