केंद्रीय बैंक के फैसले को दी गई थी चुनौती
इतनी बड़ी रकम में कर्ज लेने वाले कई पावर प्रोड्यूसर्स उस टीम में हैं जिन्होंने केन्द्रीय बैंक के सख्त नियमों को चुनौती दी है। बता दें कि आरबीआई ने साफ कर दिया है कि 180 दिन से एक दिन भी अधिक होता है तो दिवालिया कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकता है। पिछले साल ही सितंबर माह में सुप्रीम कोर्ट ने पावर, शुगर व शिपिंग कंपनियों की प्रोसिडिंग्स पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह रोक इन कंपनियों द्वारा केंद्रीय बैंक के नियमों को चुनौती देने के बाद लगाया था।
पावर सेक्टर में फंसा है 1.8 रुपए का कर्ज
पिछले साल ही केंद्रीय बैंक ने अपने एक सर्कुलर में फंसे कर्ज को लेकर पिछले नियमों को हटाते कंपनियों व उधारकर्ताओं को लताड़ लगाया था। पावर सेक्टर्स को सबसे अधिक चोट पहुंची थी जिसमें 34 प्लांट्स पर करीब 1.8 ट्रिलियन रुपए का कर्ज था।
सुप्रीम कोर्ट के उच्च प्राथमिकतओं में सबसे ऊपर है केस
ऐसे में यदि आरबीआई के निर्देशों को बहाल कर दिया जाता है तो इन्हें तुरंत दिवालिया प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, उधारकर्ताओं पर भी इस प्रक्रिया को शुरू करने का दबाव बढ़ जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है यह केस उसके एजेंडे में सबसे ऊपर होगा। सितंबर माह में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाए गए इस कदम से इन कंपनियों के लिए हल्की राहत मिली थी।
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