इन बैंकाें ने सबसे अधिक कम किए एटीएम
आपको बता दें कि सितंबर 2015 के बाद से ही एटीएम संख्या में सबसे अधिक कटौती इंडियन अोवरसीज बैंक ने की है। इस बैंक ने अपने एटीएम की संख्या में करीब 15 फीसदी की कमी आर्इ है। पिछले साल अप्रैल 2017 में जहां इंडियन आेवरसीज बैंक के एटीएम की संख्या 3500 था वहीं इस साल अप्रैल तक ये घटकर 3000 हो गया है। यूको बैंक आैर केनरा बैंक भी अपने एटीएम की संख्या में कमी करने के मामले में दूसरे आैर तीसरे नंबर पर है। इन दोनो बैंकाें ने अपने एटीएम की संख्या में 7.6 फीसदी की कमी की है।
एटीएम की लागत से परेशान हैं बैंक
देशभर के कुल एटीएम की संख्या की बात करें तो पिछले साल देश में 2,07,813 एटीएम थे। इस साल कुल एटीएम की संख्या 2,07,920 है। इस हिसाब से पिछले एक साल में केवल 107 नए एटीएम ही खुले हैं। इससे ये कहा जा सकता है कि सरकारी बैंकों के एटीएम में जितनी कमी आर्इ है उसकी भरपार्इ प्राइवेट बैंकों ने अपने एटीएम की संख्या बढ़ाकर कर दी है। आपको बता दें कि एक एटीएम की कीमत करीब 2.5 लाख आैर उसकी आॅपरेटिंग काॅस्ट करीब 4.5-5 लाख होती है। यदि इसके उपर यदि 20 लाख रुपए की नकदी को जोड़ लें तो इन पर कोर्इ रिटर्न नहीं मिलता है। वहीं इसके अलावा बैंकाें को इन एटीएम के मैनेजमेंट आैर दूसरे नेटवर्क पर ग्राहकों को फ्री ट्रांजैक्शन भी देना होता है। इसके वजह से बैंकों को एटीएम से कोर्इ खास फायदा नहीं होता है।
एटीएम की संख्या घटी फिर भी नकदी निकासी में इजाफा
केन्द्रीय बैंक के एक आंकड़े के मुताबिक, जिन बैंकों को पीसीए लिस्ट में डाला गया था, उन बैंकाें ने अपने 1635 एटीएम को कम कर दिया है। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इन सरकारी बैंकों की एटीएम संख्या में कमी आने के बाद भी पिछले साल के मुकाबले साल 2018 में कैश विड्राॅल में 22 फीसदी का इजाफा हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह ग्रामीण भारत में आर्थिक गतिविधियाें में तेजी बताया जा रहा है। आपको बात दें कि जिन बैंकों को रिजर्व बैंक ने पीसीए के तहत खास लिस्ट में डाला है उन पर लेंडिंग को लेकर कुछ बंदिशे है। इससे उनके वित्तीय हालात को सुधारने आैर काॅस्ट घ्टाने में मदद मिलेगी।