इसलिए नए नोटों को चलन से करना पड़ रहा है बाहर
अमर उजाला की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नोटों के खराब होने के मद्देनजर कर्इ काॅमर्शियल बैंकों ने इन नोटों को नाॅन-इश्यूबल लिस्ट में डाॅलकर चलन से बाहर करना शुरू कर दिया है। अमर उजाला से बातचीत में एक अग्रणी सरकारी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरबीआर्इ गवर्नर के हस्ताक्षर से जारी हुए नए नोटों के कागज की गुणवत्ता पहले के नोटों के मुकाबले खराब है। इसलिए ये नोट जल्दी से खराब हो रहे हैं। यदि ये नोट एक बार खराब हो जा रहे तो इन्हें एटीएम में नहीं डाला जा सकता है क्योंकि एटीएम के सेंसेर खराब नोटों की गिनती करने में गड़बड़ी कर देता है।
नए नोटों को नाॅन-इश्यूबल श्रेणी में डालने पर अारबीआर्इ ने लगाया था पाबंदी
अधिकारी ने यह भी बताया कि आमतौर पर नए नोटों को दो बार से ज्यादा एटीएम में नहीं डाला जा रहा है। ध्यान देने वाली बात है कि नोटबंदी के बाद नए नोटों को नाॅन-इश्यूबल घोषित करने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दिया गया था। केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट तौर पर निर्देश दिया था कि गवर्नर के हस्ताक्षर से जारी होने वाले नए नोटों को किसी भी हाल में नाॅन-इश्यूबल घोषित नहीं किया जा सकता है। हालांकि बैंकों के दबाव बढ़ने के बाद केंद्रीय बैंक ने जुलार्इ 2018 में नए नोटों को नाॅन-इश्यूबल करने की अनुमति दे दिया था।
10 रुपए के नोट जल्दी हो रहे खराब
नोटबंदी के तुरंत बाद जारी होने वाले 2,000 व 500 रुपए के नोट अन्य मदों के नए नोटों की तुलना में कम खराब हो रहे हैं। दरअसल है 10 रुपए के नोट 2,000 व 500 के नोटों की तुलना में दूसरे तरीकों से अधिक इस्तेमाल किए जाते हैं। 10 रुपए के नोट एक दिन में कर्इ हाथों से हाेकर गुजरते हैं, इसलिए ये जल्द खराब हो जाते हैं। हैरान करने वाली बात है कि जनवरी 2018 में ही जारी हुए 10 रुपए के नए नोटों को अभी एक साल भी पूरे नहीं हुए हैं लेकिन अभी से ही ये नाॅन-इश्यूबल की श्रेणी में आने लगे हैं।