इस शोध रिपोर्ट का दिया हवाला कैट ने जिन शोध रिपोर्ट का उल्लेख किया है, उनमें $खास तौर पर कांउन्सिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के अंतर्गत काम करने वाले संस्थान इंस्टिट्यूट ऑफ़ गेनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी की शोध रिपोर्ट का जिक्र है। इस शोध के अनुसार, करेंसी नोटों में ऐसे 78 प्रकार के बैक्टीरिया पाए गए हैं, जो बीमारियां फैलाते हैं। हालांकि, ये सिर्फ एक ही नोट में नहीं पाए गए। अधिकांश नोटों में पेट खराब होने, टीबी और अल्सर जैसी अन्य बीमारियां फैलाने के लक्षण मिले हैं। शोध में कहा गया है कि करेंसी नोटों से बीमारियां फैलने का खतरा सदा बना रहता है।
शोध में 86 फीसदी नोट बीमारी फैलाने वाले मिले इसी प्रकार जर्नल ऑफ करंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्लाइड साइंस ने तमिलनाडु के तिरुनवेली मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2016 में किए अपने एक शोध में पाया था कि उन्होंने जिन 120 करेंसी नोट पर शोध किया, उनमें से 86.4 फीसदी नोट कई प्रकार की बीमारियां फैलाने वाले थे। ये नोट डॉक्टर्स, बैंक, स्थानीय बाजार, कसाई, विद्यार्थी और गृहणियों से लिए गए थे। डॉक्टरों से लिए गए नोटों में मूत्र संबंधी, सांस लेने में परेशानी, सेप्टिसीमिया, स्किन इन्फेक्शन, मेनिनजाइटिस आदि बीमारी फैलाने के कीटाणु भी थे। शोध रिपोर्टों के मुताबिक, पेपर करेंसी हजारों प्रकार के कीटाणुओं के संपर्क में आती है चाहे वो किसी की ऊंगली हो, वेटर के कपडे हों, वेंडिंग मशीन हो या गद्दों के नीचे रखे गए नोट हो। करेंसी हजारों लोगों के हाथों से होकर गुजरती है जिनमें गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोग भी शामिल हैं।
सभी के स्वास्थ्य से जुड़ा है मामला: भरतिया
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि प्रतिवर्ष इस प्रकार की रिपोर्ट मेडिकल एवं साइंटिफिक जर्नल एवं अन्य स्थानों पर प्रकाशित होती रही हैं किन्तु किसी ने कभी भी लोगों के स्वास्थ्य से संबंधित इस गंभीर विषय पर ध्यान ही नहीं दिया और न ही कोई व्यापक शोध करने की कोशिश ही की। उन्होंने कहा कि देश में व्यापारी वर्ग करेंसी नोट का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करता है क्योंकि अंतिम उपभोक्ता से उसका सीधा संपर्क होता है और यदि ये शोध रिपोर्ट सत्य हैं तो यह व्यापारियों के स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक घातक है। हालांकिं, यह मुद्दा हर उस व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है जो करेंसी नोट का लेन-देन करता है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि प्रतिवर्ष इस प्रकार की रिपोर्ट मेडिकल एवं साइंटिफिक जर्नल एवं अन्य स्थानों पर प्रकाशित होती रही हैं किन्तु किसी ने कभी भी लोगों के स्वास्थ्य से संबंधित इस गंभीर विषय पर ध्यान ही नहीं दिया और न ही कोई व्यापक शोध करने की कोशिश ही की। उन्होंने कहा कि देश में व्यापारी वर्ग करेंसी नोट का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करता है क्योंकि अंतिम उपभोक्ता से उसका सीधा संपर्क होता है और यदि ये शोध रिपोर्ट सत्य हैं तो यह व्यापारियों के स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक घातक है। हालांकिं, यह मुद्दा हर उस व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है जो करेंसी नोट का लेन-देन करता है।