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पीसीए फ्रेमवर्क के तहत आने वाले बैंकों को वरीयता
बताते चलें कि गत बुधवार को यानी ठीक एक दिन पहले ही सरकार ने 12 पब्लिक सेक्टर बैंकों काे 48,239 करोड़ रुपए देने का एेलान किया है। सरकार ने यह कदम इन बैंकों की वित्तीय हालत को सुधारने के लिया है। कर्इ सरकारी बैंक फिलहाल आरबीआर्इ के पीसीएम फ्रमेवर्क के तहत हैं जिन्हें सरकार इससे बाहर निकालना चाहती है। यही कारण है कि चार चरणों में बैंकों को दिए जाने वाली पूंजी में सबसे पहले आवंटन उन बैंकों को किया जाएगा जो पीसीए फ्रेमवर्क के अंतर्गत हैं।
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अंतरिम बजट में कोर्इ प्रस्ताव नहीं
रेटिंग एजेंसी ने कहा, “बजट 2019-20 में बैंकों के रिकैपिटलाइजेशन के लिए कोर्इ प्रस्ताव नहीं था। एेसे में यह अभी तक साफ नहीं है कि इन बैंकों को वित्त वर्ष 20 में ही यह पैसा मिलेगा या नहीं।” गौरतलब है कि सरकारी बैंकों में गैर-निष्पादित परसंपत्तयों या एनपीए (फंसे हुए कर्ज) का भारी बोझ है। एेसे में सरकार की तरफ से मिलने वाली रकम से आैषधि की तरफ काम करेगी। इससे उनका क्रेडिट ग्रोथ बढ़ाने में मदद मिलेगा, खासतौर पर छोटे व मध्यवर्ग के उद्योगों के लिए।
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2017 में सरकार ने सरकारी बैंकों को 2.11 लाख करोड़ रुपए देने का एेलान किया था
साल 2017 में, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वादा किया है कि पब्लिक सेक्टर बैंकाें के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपए का रिकैपिलाइजेशन के तौर पर दिया जाएगा। इसमें से 88,139 करोड़ रुपए वित्त वर्ष 18 में बैंकों को दिया जा चुका है। दिसंबर 2018 के अंत तक सरकार ने इन पीएसयू बैंकों को 1,57,476 करोड़ रुपए दे दिया था। यह रकम वित्त वर्ष 18 में दी गर्इ रकम को मिलाकर है। भारत के पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा था कि आर्इएमएफ अकाउंटिंग के तहत बैंकों को दिए जाने वाले इस रकम से राजकोषीय घाटे पर कोर्इ असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, भारत की अकाउंटिंग के तहत सरकार को ब्याज दर देना होगा आैर इससे बाॅन्ड की वैल्यू पर भी असर पड़ेगा।
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