ईईएसएल की इस योजना में लगभग 50 करोड़ एलईडी बल्ब बांटे जाएंगे। इससे 12,000 मेगावॉट बिजली की बचत का अनुमान है। साथ ही कॉर्बन उत्सर्जन में 5 करोड़ टन सालाना की कमी आने की भी संभावना है। ग्रामीण उजाला कार्यक्रम को चरणबद्ध तरीके से अगले तीन से छह महीने में देश के सभी गांवों में लागू किया जाएगा। इस योजना का खर्च कंपनी की ओर कॉर्बन ट्रेडिंग के माध्यम से वसूल किया जाएगा। जबकि इसके लिए केंद्र या राज्यों से कोई सब्सिडी नहीं ली जाएगी। इस बारे में कंपनी के प्रबंध निदेशक के अनुसार गांवों में प्रति परिवार अगर तीन एलईडी बल्ब लेंगे तो उसके बदले उन्हें तीन पुराने बल्ब देने होंगे। कंपनी उनका संग्रह करेगी। इसके बाद कितने बल्ब आयें और उसमें कितने पुराने हैं। फिर उन्हें नष्ट किया जाएगा। इसके बाद नई प्रणाली से इनका निर्माण किया जाएगा।
कंपनी ने इससे पहले भी कम रेट में एलईडी बल्ट बांटे थे। उनके मुताबिक गांवों में एक बल्ब की कीमत करीब 70 रुपए या इससे ज्यादा है। ऐसे में पुडुचेरी, जम्मू कश्मीर और आंध्र प्रदेश ने एलईडी बल्ब पर सब्सिडी देते हुए उसे 10 रुपए की दर पर बेचा था। इन राज्यों में 95 प्रतिशत तक बल्ब गांवों में बांटे गए है। इसकी सफलता को देखते हुए दूसरी स्कीम शुरू की जा रही है। इससे पूरे देश के गांवों में 50 करोड़ उच्च गुणवत्ता के एलईडी बल्ब का वितरण किया जाएगा। इससे बिजली की अधिकम मांग में 12,000 मेगावॉट की कमी आएगी, जबकि ग्राहकों के बिजली बिल में 25 से 30 हजार करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी। इसके अलावा कॉर्बन उत्सर्जन में 5 करोड़ टन सालाना की कमी आएगी।
कैसे मिलेंगे एलईडी
कंपनी के मुताबिक देश में चरणबद्ध तरीके से इसका वितरण शुरू किया जाएगा। इसके लिए जगह-जगह सेंटर बनाए जाएंगे। एक परिवार को तीन से चार एलईडी दिए जाएंगे। इसके बदले उनसे तीन पुराने एलईडी बल्ब लिए जाएंगे। कंपनी की ओर से भविष्य में गांवों में सस्ती दर पर ट्यूबलाइट और पंखे भी उपलब्ध कराएंगे। इससे बिजली की बचत होगी।
कंपनी के मुताबिक देश में चरणबद्ध तरीके से इसका वितरण शुरू किया जाएगा। इसके लिए जगह-जगह सेंटर बनाए जाएंगे। एक परिवार को तीन से चार एलईडी दिए जाएंगे। इसके बदले उनसे तीन पुराने एलईडी बल्ब लिए जाएंगे। कंपनी की ओर से भविष्य में गांवों में सस्ती दर पर ट्यूबलाइट और पंखे भी उपलब्ध कराएंगे। इससे बिजली की बचत होगी।