कैट ने इसके संकेत दिए थे
हाल ही में कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के सेक्रेटरी जनरल प्रवीन खंडेवाल ने इस बात के संकेत दिए थे कि डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए सरकार जल्द ही चेकबुक सुविधा को बंद कर सकती है। गौरतलब है कि नोटबंदी के पहले कैश और चेक के जरिए 95 फीसदी ट्रांजैक्शन होता था। इसके बाद कैश के जरिए ट्रांजैक्शन में कमी आई, लेकिन चेक के जरिए ट्रांजैक्शन बढ़ा है।
हाल ही में कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के सेक्रेटरी जनरल प्रवीन खंडेवाल ने इस बात के संकेत दिए थे कि डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए सरकार जल्द ही चेकबुक सुविधा को बंद कर सकती है। गौरतलब है कि नोटबंदी के पहले कैश और चेक के जरिए 95 फीसदी ट्रांजैक्शन होता था। इसके बाद कैश के जरिए ट्रांजैक्शन में कमी आई, लेकिन चेक के जरिए ट्रांजैक्शन बढ़ा है।
डिजिटल ट्रांजैक्शन बढ़ाने का लक्ष्य सरकार ने इस वित्त वर्ष के अंत तक 2.5 खरब डिजिटल ट्रांजैक्शन का टारगेट रखा है। सरकार को इसमें सफलता भी मिल रही है। सितंबर महीने में डेबिट-क्रेडिट कार्ड के जरिए ट्रांजैक्शन में 84 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली। सितंबर में डिजिटल तरीके से 74 हजार करोड़ से अधिक का लेन-देन हुआ।
हर साल खर्च होते हैं करोड़ों रुपए सरकार 25000 करोड़ रुपए सिर्फ नोटों की छपाई पर खर्च करती है और 6000 करोड़ रुपए उन नोटों की सुरक्षा पर खर्च किए जाते हैं। इस तरह नोटों की छपाई और रखरखाव में कुल 31000 करोड़ का खर्च किया जाता है। यदि सरकार कैशलेस इकोनॉमी बनाने में कामयाब होती है तो इससे खर्च में बड़ी कमी आएगी। अभी देशभर में 80 करोड़ एटीएम हैं, लेकिन सिर्फ 5 प्रतिशत का इस्तेमाल डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए किया जाता है, जबकि 95 प्रतिशत एटीएम कार्ड सिर्फ कैश निकालने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।