अार्इबीसी लागू होने के बाद कंपनियां उठा रही कदम
उन्होंने कहा कि इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के कठोर प्रावधानों की वजह से अब दिवालिया कंपनियां स्वत: एनपीए निपटान के लिए आगे आ रही हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएनटी) के जरिये भी बड़े बकायेदारों के मामले निपटाये जा रहे है। उन्होंने कहा कि बैंकों ने संपदा गुणवत्ता पर ध्यान देना शुरू कर दिया है जिससे अब विरासत में मिली एनपीए की समस्या से उबरने की दिशा में तेजी से बढऩे लगे हैं। बैंकों ने ऋणों की निगरानी को सख्त बनाने के साथ ही एनपीए की ओर बढ़ रहे खातों को एनपीए बनने से पहले ही समाधान करने का काम भी शुरू कर दिया है।
दूसरे बैंकों की हालत सुधारने में मिलेगी मदद
इसके साथ ही बैंक गैर कोर संपदा का मुद्रीकरण भी कर रहे हैं जिससे 18,665 करोड़ रुपये की राशि मिली है। विदेशों में स्थित 57 शाखायें बंद की गयी हैं या उसे तर्कसंगत बनाया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों ने रिजर्व बैंक के त्वरित सुधारत्मक कार्रवाई (पीसीए) के कठोर नियम में कुछ लचीलापन लाये जाने के सुझाव दिये हैं ताकि पीसीए में आये 11 बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ सके और उनकी स्थिति तेजी से सुधराने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि अभी यह सुझाव है और इस पर रिजर्व बैंकों को पहल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एनपीए के लिए अधिकांश बैंक प्रावधान कर चुके हैं और सरकार ने भी पिछले तीन वर्षाें में 70 हजार करोड़ रुपये निवेश करने के साथ ही विभिन्न माध्यम से बैंकों ने भी दो लाख करोड़ रुपये जुटाये हैं।