डायरेक्ट टैक्स कोड को कभी पारित नही किया जा सका और फिर नरेन्द्र मोदी सरकार वस्तू एवं सेवा कर मे व्यस्त होने के कारण इनकम टैक्स एक्ट को फिर से तैयार नहीं कर पाई। लेकिन पिछले हफ्ते ‘राजस्व ग्यान संगम’ के बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने खुद ही इस पर बात किया था। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने अब इसे रिव्यू करना शुरू कर दिया है।
सूत्रो ने बताया कि फिलहाल इसे बजट से पहले नए ड्रॉफ्ट को तैयार करने का प्लान किया जा रहा ताकि लोग इस पर अपनी राय दे सकें। 2019 मे होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि सरकार इसे 2019-20 वित्त मे नही लाएगी, लेकिन जमिनी कार्य को पूरा कर लेना चाहेगी। हालांकि अभी ये कहना जल्दबाजी होगा लेकिन डीटीसी ने अपने प्रस्ताव मे निकासी के दौरान कटने वाले प्रोविडेंट फंड और पब्लिक प्रोविडेंट फंड पर लगने वाले कुछ टैक्स से छूट की बात की थी।
तीन लाख तक के आय पर टैक्स छूट के प्रस्ताव के साथ ये भी सलाह दिया गया था कि 25 लाख या इससे उपर की कमाई पर सबसे अधिक 30 फीसदी टैक्स देया होगा। जबकि 10 से 25 लाख तक की कमाई करने वालों पर 20 फीसदी टैक्स लगेगा। इसके पीछे मौजूदा टैक्स सिस्टम को पहले से सरल बनाना और कंपनियों पर लगे कई छूट को वापस लेने की सोच थी। टैक्स एक्सपर्ट तो अभी इसके पक्ष में है लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर कब तक यह संभव हो पाएगा।
पहले भी किया गया है कोशिश
डायरेक्ट टैक्स कोड (2009) : 1.6 लाख तक की सलाना कमाई पर कोई टैक्स नही। 1.6 से 10 लाख तक की सलाना कमाई पर 10 फीसदी तक टैक्स। 10 से 25 लाख की सलाना कमाई पर 84 हजार और 10 लाख के उपर की कमाई पर 20 फीसदी टैक्स। सलाना 25 लाख से अधिक कमाई करने वालों पर 3.84 लाख रुपए और 25 लाख से उपर के आय पर 30 फीसदी टैक्स।
छूट- निकासी के दौरान पीएफ और पीपीएफ पर टैक्स, एक से तीन लाख की सेविंग्स पर कटौती, हाउसिंग पर कोई फायदा नही।
विजय केलकर कमिटी : एक लाख तक की सलाना कमाई पर कोई टैक्स नही। एक से चार लाख की सलाना कमाई पर 20 फीसदी टैक्स। और 4 लाख से अधिक की कमाई पर 60 हजार और 4 लाख से उपर की आय पर 40 फीसदी टैक्स।
छूट- सेविंग स्कीम की निकासी पर छूट।