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मोदी सरकार का बड़ा फैसला, अब बैंक जब्त नहीं कर पाएंगे बैकों में रखा आपका पैसा

locationनई दिल्लीPublished: Jul 18, 2018 12:34:45 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

केंद्र सरकार ने अपने फाइनेंशियल रेजाॅल्युशन एंड डिपाॅजिट इंश्योरेंस (FRDI) बिल 2017 को छोड़ने का फैसला ले लिया है।

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मोदी सरकार का बड़ा फैसला, अब बैंक जब्त नहीं कर पाएंगे बैकों में रखा आपका पैसा

नर्इ दिल्ली। अब बैंकों में जमा धन पर आपका हक खत्म नहीं होगा। क्योंकि केंद्र सरकार ने अपने फाइनेंशियल रेजाॅल्युशन एंड डिपाॅजिट इंश्योरेंस (FRDI) बिल 2017 को छोड़ने का फैसला ले लिया है। दरअसल इस बिल को लेकर इस बात का संदेह था कि इसके पास हो जाने से यदि बैंकों में जमा रकम पर खाताधरकों का हक खत्म हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, सरकार ने ये फैसला बैंक यूनियन आैर पीएसयू बीमा कंपनियों के विरोध के बाद लिया है। इस बिल के लागू होने के बाद से बैंकों को ये हक मिल जाता कि वह अपने वित्तीय स्थित बिगड़ने पर खाताधारकों की जमा रकम को लौटाने से इन्कार कर दे। इसके बदले बैंकों काे बाॅन्ड, सिक्योरिटी या शेयर दें।


बैंकों के दिवालिया होने की स्थिति से निपटने के लिए था बिल
बात दें कि सरकार इस बिल का प्रस्ताव बैंकों के दिवालिया होने की स्थिति से निपटने के लिए लार्इ थी। इस बिल के तहत यदि बैंकों के कारोबार करने की क्षमता खत्म हो जाने पर वो अपने खाताधारकों की रकम नहीं लौटा पाता, एेसे में ये बिल बैंकों को इस संकट से उबरने में मदद मिलता। इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, इस बिल को रद्द करने के लिए कैबिनेट ने जल्द ही प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। यदि सरकार ये बिल पास करने में सफल हो जाती तो बैंकों में जमा धन से खाताधारकों को कभी भी हाथ खाेना पड़ सकता था।


बिल में बेल इन प्रस्ताव
इस बिल में ‘बेल इन’ का प्रस्ताव दिया गया था। बेल इन का मतलब होता है कि अपने नुकसान की भरपार्इ कर्जदार आैर जमाकर्ताआें की पूंजी से किया जाए। एेसे में इस बिल के पास होन जाने से बैंकों को भी ये अधिकार मिल जाता। इस बेल इन प्रस्ताव के बाद बैंक जब भी चाहें अपने वित्तीय हालात खराब होने का हवाला देकर खाताधारकों की जमा रकम लाैटाने से इन्कार कर सकते थे।


क्या है मौजूदा नियम
वर्तमान की नियमाें की बात करें तो , उसके अनुसा यदि कोर्इ बैंक या वित्तीय संस्थान दिवालिया हो जाता है तो लोगों को एक लाख रुपये तक का बीमा कवर मिलता है। ज्ञात हो कि साल 1960 से भारतीय रिजर्व बैंक के अधीन ‘डिपाॅजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट काॅर्पोरेशन’ पर काम कर रही है। इस बिल के आने से सभी अधिकार वित्त पुर्नसंरचना निगम को मिल सकेंगे। यदि कोर्इ बैंक या वित्तीय संस्थान दिवालिया होने की हालत में आ जाता है तो निगम ही ये फैसला करेगा की जमाकर्ता को मुआवजा दिया जाए या नहीं। यदि मुआवजा दिया जाए तो आखिर कितना दिया जाए।

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