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कॉसमॉस बैंक की हैकिंग कराने में नॉर्थ कोरिया का हाथ!

locationनई दिल्लीPublished: Aug 16, 2018 10:41:43 am

Submitted by:

manish ranjan

बैंकों की हालात तो वैसे ही खस्ता चल रही हैं। माल्या और नीरव मोदी बैंकों को लूट लूट कर भाग रहे हैं। ऐसे में बैंकों को अपनी सुरझा पर और नियमों कड़े करने पर ध्यान देने चाहिए।

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कॉसमॉस बैंक की हैकिंग कराने में नॉर्थ कोरिया का हाथ!

नई दिल्ली। बैंकों की हालात तो वैसे ही खस्ता चल रही हैं। माल्या और नीरव मोदी बैंकों को लूट लूट कर भाग रहे हैं। ऐसे में बैंकों को अपनी सुरझा पर और नियमों कड़े करने पर ध्यान देने चाहिए। लेकिन बैंक ऐसा करती नजर नहीं आ रही है शायद तभी तो कॉसमॉस बैंक पर इतना बड़ा साइबर हमला हुआ। साइबर हमले में बैंक को 94.42 करोड़ रुपए का चूना लगाया गया। लेकिन अब इस साइबर हमले को लेकर एक नई खबर सामने आ रही है। कहा जा रहा है की यह हैकिंग का कोई साधारण मामला नहीं है। खबरों के मुताबिक इसके पीछे नॉर्थ कोरिया के कुख्यात हैकिंग ग्रुप लजारस का हाथ हो सकता है।जिसने दुनियाभर में कुछ बड़ी हैकिंग की वारदात को अंजाम दिया है।


बैंक से 94.42 करोड़ रुपए निकाल
इस हैकिंग ग्रुप ने पहले भी सोनी पिक्चर्स के डेटा को लीक और नष्ट किया था। इसके अलावा इसने पोलैंड और बांग्लादेश के बैंकों से करोड़ों रुपये उड़ाए थे। कॉसमॉस बैंक को अंतर्राष्ट्रीय हैकर ग्रुप की ओर से चूना लगाने की घटना की बैंक की ओर से पुष्टि किए जाने के बाद भारत की पूरी बैंकिंग प्रणाली कांप सी गई। हैकर ने 11 अगस्त और 13 अगस्त को दो साइबर हमले में बैंक से कुल 94.42 करोड़ रुपए निकाल लिए थे। पहले साइबर हमले में 28 देशों में बैंक को एटीएम स्वाइप के जरिए बैंक को 80.50 करोड़ रुपए का चूना लगाया गया। दूसरे हमले में स्विफ्ट ट्रांसफर के जरिए 13.92 करोड़ रुपए निकाले गए।बता दें की कॉसमॉस बैंक पुणे का 112 वर्ष पुराने बैंक है।

हैकर्स ने बड़ी ही चालाकी से निकाले पैसे
हैकर्स ने बड़ी ही चालाकी से ये काम किया है। इस फ्रॉड को सर्वर के फायरवॉल में सेंधमारी के जरिए अंजाम दिया गया।हैकरों ने विभिन्न भुगतान मार्गो से एक साथ 28 देशों में पैसे निकाले। उन्होंने फटाफट निकासी करना शुरू कर दिया, जिसमें कई मामलों में निकासी की रकम करीब 100 डॉलर थी। उन्होंने छोटी-छोटी रकम इसलिए निकाली, ताकि संदेह पैदा न हो।बता दें की फायरवॉल ही एटीएम ट्रांजैक्शंस को अधिकृत करता है। इसके बाद, एक प्रॉक्सी सर्वर तैयार किया गया और ट्रांजैक्शंस को उसी फेक या प्रॉक्सी सर्वर से ऑथराइज्ड किया गया। इसका मतलब यह हुआ कि एटीएम को बिना इसकी जांच किए कि कार्ड असली है नहीं, कैश रिलीज करने के निर्देश मिले थे।
पहले मिल गई थी चेतावनी
जितनी तेजी से डिजिटल बैंकिग बढ़ रही है उतनी ही तेजी से साइबर क्राइम भी बढ़ रहा हैं। इसी को देखते हुए अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई ने पहले ही चेतावनी दी थी कि साइबर अपराधी ग्लोबल बैंकों पर ‘एटीएम कैश आउट’ फ्रॉड के जरिए साइबर हमले की योजना बना रहे हैं। ‘एटीएम कैश आउट’ फ्रॉड में बैंक या कार्ड पेमेंट प्रोसेसर को निशाना बनाया जाता है जिसके जरिए कुछ ही घंटों में कैश निकाल लिए जाते हैं।
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