आईटीआर दाखिल करते समय इन बातों का रखे ध्यान
1. दस्तावेजों को व्यवस्थित रखें
रिटर्न फाइल करने के लिए अपने दस्तावेज़ तैयार रखना सबसे महत्वपूर्ण है। फाइलिंग के
लिए, आपको अपनी सभी पुरानी टैक्स रिसीप्ट्स, आय और निवेश की रिसीप्ट्स, फॉर्म 26
एएस, फॉर्म 16 इत्यादि की आवश्यकता होगी। त्वरित प्रक्रिया के लिए रिटर्न दाखिल करते
समय इन दस्तावेज़ों को हाथों में रखें; और ऑनलाइन फॉर्म भरने के बाद उन्हें सुरक्षित
रखना भी याद रखें। यदि आपके रिटर्न को जांच के लिए चुना जाता है तो आपको उन
दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ सकती है।
2. अपनी गणना की जांच करें
कर दस्तावेजों को देखकर ही अपनी गणना करें। फिर यह सुनिश्चित करने के लिए कि
आपकी सभी गणना सही हैं, एक बार फिर गणना पर जाएं। अगर आप मदद चाहते हैं, तो
आप हमेशा ई पर जा सकते हैं जो आपको अपनी गणनाओं को जांचने और सटीकता
सुनिश्चित करने में मदद करेगा। इसके अलावा, ई-फाइलिंग की अनुशंसा की जाती है क्योंकि
इससे त्रुटि खुद-ब-खुद खत्म होने की संभावना ज्यादा रहती है। पांच लाख रुपये से अधिक
आय वाले लोग या रिटर्न मांगने वाले लोगों को अनिवार्य रूप से ई-फाइल होना चाहिए।
3.अपनी समस्त आय को रिपोर्ट करें
सभी स्रोतों से हुई कमाई का खुलासा करना महत्वपूर्ण है, भले ही आय करयोग्य हो या छूट
में आती हो। सूचना का खुलासा न होने से बाद में कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़
सकता है और आपको फाइलिंग करते समय ईमानदार होने की बुद्धिमानी दिखानी होगी।
4. ई-फाइलिंग के बाद आईटीआर की पुष्टि करें
आयकर रिटर्न की सफलतापूर्वक ई-फाइलिंग के बाद, आपको अपने मोबाइल नंबर और ई-
मेल पर नेटबैंकिंग, आधार कार्ड या ईवीसी प्रक्रिया के माध्यम से अपने आईटीआर-वी को ई-
सत्यापित करना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि आईटी विभाग सत्यापन के बाद आपके
रिटर्न्स पर प्रोसेसिंग शुरू करता है। वैकल्पिक रूप से, आप आईटीआर-वी को सीपीसी
(सामान्य या स्पीड पोस्ट के माध्यम से सिर्फ) पर हस्ताक्षर कर भेज सकते हैं। यह टैक्स
रिटर्न की ई-फाइलिंग की तारीख से 120 दिनों के भीतर किया जाना है।
1. दस्तावेजों को व्यवस्थित रखें
रिटर्न फाइल करने के लिए अपने दस्तावेज़ तैयार रखना सबसे महत्वपूर्ण है। फाइलिंग के
लिए, आपको अपनी सभी पुरानी टैक्स रिसीप्ट्स, आय और निवेश की रिसीप्ट्स, फॉर्म 26
एएस, फॉर्म 16 इत्यादि की आवश्यकता होगी। त्वरित प्रक्रिया के लिए रिटर्न दाखिल करते
समय इन दस्तावेज़ों को हाथों में रखें; और ऑनलाइन फॉर्म भरने के बाद उन्हें सुरक्षित
रखना भी याद रखें। यदि आपके रिटर्न को जांच के लिए चुना जाता है तो आपको उन
दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ सकती है।
2. अपनी गणना की जांच करें
कर दस्तावेजों को देखकर ही अपनी गणना करें। फिर यह सुनिश्चित करने के लिए कि
आपकी सभी गणना सही हैं, एक बार फिर गणना पर जाएं। अगर आप मदद चाहते हैं, तो
आप हमेशा ई पर जा सकते हैं जो आपको अपनी गणनाओं को जांचने और सटीकता
सुनिश्चित करने में मदद करेगा। इसके अलावा, ई-फाइलिंग की अनुशंसा की जाती है क्योंकि
इससे त्रुटि खुद-ब-खुद खत्म होने की संभावना ज्यादा रहती है। पांच लाख रुपये से अधिक
आय वाले लोग या रिटर्न मांगने वाले लोगों को अनिवार्य रूप से ई-फाइल होना चाहिए।
3.अपनी समस्त आय को रिपोर्ट करें
सभी स्रोतों से हुई कमाई का खुलासा करना महत्वपूर्ण है, भले ही आय करयोग्य हो या छूट
में आती हो। सूचना का खुलासा न होने से बाद में कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़
सकता है और आपको फाइलिंग करते समय ईमानदार होने की बुद्धिमानी दिखानी होगी।
4. ई-फाइलिंग के बाद आईटीआर की पुष्टि करें
आयकर रिटर्न की सफलतापूर्वक ई-फाइलिंग के बाद, आपको अपने मोबाइल नंबर और ई-
मेल पर नेटबैंकिंग, आधार कार्ड या ईवीसी प्रक्रिया के माध्यम से अपने आईटीआर-वी को ई-
सत्यापित करना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि आईटी विभाग सत्यापन के बाद आपके
रिटर्न्स पर प्रोसेसिंग शुरू करता है। वैकल्पिक रूप से, आप आईटीआर-वी को सीपीसी
(सामान्य या स्पीड पोस्ट के माध्यम से सिर्फ) पर हस्ताक्षर कर भेज सकते हैं। यह टैक्स
रिटर्न की ई-फाइलिंग की तारीख से 120 दिनों के भीतर किया जाना है।
रिटर्न दाखिल करते समय ना करे ये गलतियां 1.विवरण में गलतियां फाइलिंग के दौरान, आपको अपने बैंक डिटेल्स (खाता नंबर, आईएफएससी कोड, बैंक
रिकॉर्ड के अनुसार नाम इत्यादि), पैन नंबर, पता, और ईमेल आईडी जैसे कई विवरण भरने
को कहा जाएगा। गलत जानकारी आपके रिटर्न की प्रोसेसिंग में समस्याएं पैदा कर सकती है।
आपको कर विभाग से महत्वपूर्ण संदेश प्राप्त नहीं हो सकेंगे- जैसे रिफंड चेक, त्रुटि नोटिस
इत्यादि।
2. धारा 80 के तहत कटौती का दावा करने में भूल
अपनी कर देयता को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है धारा 80 के तहत दी गई कटौती
का पूरी तरह से उपयोग करना। यदि आप अपने नियोक्ता को निवेश के प्रमाण जमा नहीं कर
सके थे, तब भी आप आईटीआर दर्ज करते समय कटौती का दावा कर सकते हैं। हालांकि,
सभी सबूत सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है। असेसमेंट अधिकारी बाद में उनके बारे में पूछ
सकता है।
3. छूटयोग्य आय का उल्लेख न करना
लाभांश, पीपीएफ ब्याज इत्यादि से आय इस श्रेणी में आती है। इन आय का खुलासा करना
बुद्धिमानी है क्योंकि यह आपको सावधानी बरतने में मदद करेंगे। इसके अलावा, आपको इस
पैसे पर कोई कर नहीं चुकाना होगा। आपके बैंक खातों में हाई-वैल्यू इनफ्लो को समझाना
तब आसान हो सकता है, जब आप टैक्स रिटर्न में इसकी सूचना पहले ही दे देते हो।
4. अंतिम समय में रिटर्न फाइल करना
इस बात की संभावना बहुत ज्यादा है कि आप आखिरी मिनट में रिटर्न दाखिल करते समय
गलतियां करें। ऐसे में अंतिम समय तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है। इसमें किसी
तरह की बुद्धिमानी नहीं है। सबसे खराब स्थिति तो यह ही बनेगी कि आपको अंतिम मिनट
में अतिरिक्त कर या दंड ब्याज का भुगतान करना पड़ सकता है।
रिकॉर्ड के अनुसार नाम इत्यादि), पैन नंबर, पता, और ईमेल आईडी जैसे कई विवरण भरने
को कहा जाएगा। गलत जानकारी आपके रिटर्न की प्रोसेसिंग में समस्याएं पैदा कर सकती है।
आपको कर विभाग से महत्वपूर्ण संदेश प्राप्त नहीं हो सकेंगे- जैसे रिफंड चेक, त्रुटि नोटिस
इत्यादि।
2. धारा 80 के तहत कटौती का दावा करने में भूल
अपनी कर देयता को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है धारा 80 के तहत दी गई कटौती
का पूरी तरह से उपयोग करना। यदि आप अपने नियोक्ता को निवेश के प्रमाण जमा नहीं कर
सके थे, तब भी आप आईटीआर दर्ज करते समय कटौती का दावा कर सकते हैं। हालांकि,
सभी सबूत सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण है। असेसमेंट अधिकारी बाद में उनके बारे में पूछ
सकता है।
3. छूटयोग्य आय का उल्लेख न करना
लाभांश, पीपीएफ ब्याज इत्यादि से आय इस श्रेणी में आती है। इन आय का खुलासा करना
बुद्धिमानी है क्योंकि यह आपको सावधानी बरतने में मदद करेंगे। इसके अलावा, आपको इस
पैसे पर कोई कर नहीं चुकाना होगा। आपके बैंक खातों में हाई-वैल्यू इनफ्लो को समझाना
तब आसान हो सकता है, जब आप टैक्स रिटर्न में इसकी सूचना पहले ही दे देते हो।
4. अंतिम समय में रिटर्न फाइल करना
इस बात की संभावना बहुत ज्यादा है कि आप आखिरी मिनट में रिटर्न दाखिल करते समय
गलतियां करें। ऐसे में अंतिम समय तक इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है। इसमें किसी
तरह की बुद्धिमानी नहीं है। सबसे खराब स्थिति तो यह ही बनेगी कि आपको अंतिम मिनट
में अतिरिक्त कर या दंड ब्याज का भुगतान करना पड़ सकता है।