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Exclusive: आखिर क्यों हैं एटीएम में Cash Crunch,वजह जानकर दंग रह जाएंगे आप

देश के कई राज्यों के एटीएम और बैंक एक बार फिर कैश की किल्लत से जूझ रहे हैं। आइए जानते हैं कि इसकी पूरी हकीकत क्या है।

नई दिल्लीApr 17, 2018 / 11:23 pm

manish ranjan

नई दिल्ली। देश के कई राज्यों के एटीएम और बैंक एक बार फिर कैश की किल्लत से जूझ रहे हैं। मध्य प्रदेश , बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत कई राज्यों में बीते कुछ दिनों से कैश की समस्या बन गई है। एटीएम या तो बंद पड़े है या नो कैश का बोर्ड लगा हुआ है। वित्त राज्य मंत्री ने दावा किया है कि इस समस्या से तीन दिनों के भीतर पार पा लेंगे। वर्तमान में कैश करेंसी 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपए हैं। पत्रिका ने देश के कई बड़े बैंक से बात की जिसमें पता चला कि आखिर कैश की किल्लत क्यों है। कई बड़े बैंकों ने माना कि आरबीआई की तरफ से एक चौथाई रकम ही बैंक को मिल पा रही है। जिस कारण डिमांड सप्लाइ में भारी अतंर आ चुका है। आइए जानते हैं कि पूरी हकीकत क्या है।
सप्लाई – डिमांड का खेल

निजी बैंक के एक अधिकारी ने पत्रिका को बताया कि बैकों को आरबीआई की तरफ से एक चौथाई से भी कम रकम दी जा रही है। अधिकारी के मुताबिक बैंक को हर दिन दिल्ली जैसे शहर में करीब 150 करोड़ की जरुरत होती है। जबकि आरबीआई की तरफ से एक हफ्ते में केवल 38 करोड़ ही मिल पा रहे हैं।
सभी बड़े बैंकों की हालत खस्ता
ऐसा नहीं है कि केवल एक बैंक को ही कम पैसे मिल रहे है। देश के बाकी बैंक जैसे आईसीआईसीआई बैंक, एसबीआई, एक्सिस बैंक के भी हालात यही है। आईसीआईसीआई बैंक को हर हफ्ते केवल 28 करोड़ की रकम मिल पा रही है। वहीं एक्सिस बैंक को मिलने वाली रकम केवल 20 करोड़ की है।
35 फीसदी से कम हुई कैश में आवक
– रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नोटबंदी के बाद सात लाख करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के 2000 रुपए के नोट जारी किए थे।
– जुलाई तक बैंकों में कैश की आवक में दो हजार रुपए के नोटों की संख्या करीब 35 फीसदी रहती थी।
क्या कहती है आरबीआई की रिपोर्ट
विभन्न बैंकों के करेंसी चेस्टर से आई रिपोर्ट के अनुसार देश में काले धन का विस्तार एक बार फिर से बढ़ गया है। जिसकी वजह बना है देश का सबसे बड़ा नोट 2000 रुपए। कभी कालेधन को रोकने के लिए लाए गए 2000 रुपए नोट ही ही देश में कालेधन की वजह बन गए हैं। मार्च 2018 में बैंकों की करेंसी चेस्ट की बैलेंस शीट के अनुसार बैंकों में 2000 रुपए के नोटों की संख्या कुल रकम का औसतन दस फीसदी ही रह गई है। ये हालात तब है जब भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी करेंसी में 2000 रुपए के नोटों का हिस्सा 50 फीसदी से अधिक है।

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