1860 में लाया गया देश का पहला बजट
भारत में देश का पहला बजट 1947 में नहीं बल्कि उससे भी 87 साल पहले 1860 में आया था। यह देश का पहला बजट था। जिसमें देश की जनता के लिए अहम कानून लाया गया। वो था इनकम टैक्स एक्ट। वास्तव में वो देश का ऐसा दौर था, जब अंग्रेजी हुकूमत देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम को पूरी तरह से दबा चकी थी। ब्रिटिश हुकूमत का खजाना इस संग्राम को दबाने में काफी हद तक खत्म हो चुका था। जिसके बाद देश में ब्रिटिश हुकूमत ने बजट के बारे में सोचा और 1860 में पहला बजट लाया गया।
इस शख्स ने पढ़ा देश का पहला बजट
देश में बजट फरवरी माह और सुबह के वक्त में पढ़ा जाता है, लेकिन 1860 में बजट आया था तो ना फरवरी का महीना था और ना ही सुबह का वक्त। बजट को पेश करने के लिए किसी भारतीय को नहीं बल्कि स्कॉटिश नेता को बुलाया गया था। जिन्होंने 7 अप्रैल को शाम 5 बजे बजट पेश किया था। पेशे से बिजनेस और ब्रिटिश सरकार में फाइनेंस सेकेट्री पर रहे 28 नवंबर 1859 को सर जेम्स विल्सन को भारत में भेजा गया।
आखिर कौन थे जेम्स विल्सन
सर जेम्स विल्सन का इतिहास भी कुछ कम दिलचस्प नहीं है। अपने स्ट्रगल के दिनों में जेम्स टोपी बेचने का काम करते थे। जिसके बाद उन्होंने नील का बिजनेस भी किया। खास बात ये थी कि वो अर्थशास्त्र का भी शौक रखते थे। वैसे एकेडमिक स्तर पर उन्होंने कभी अर्थशास्त्र की पढ़ाई नहीं की थी। लेकिन उनके पास अर्थशास्त्र का इतना ज्ञान था कि उन्होंने अपने आपको 1837 में दीवालिया हो से बचाया था। जब उनके हालत थोड़े सुधरे तो उन्होंने 1843 में दी इकोनॉमिस्ट की शुरुआत की। जिसमें उन्होंने ब्रिटिश इकोनॉमी को लेकर कई आर्टिकल लिखे। 1853 में उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति बेचकर चार्टेड बैंक ऑफ इंडिया, ऑस्ट्रेलिया और चाइना की शुरूआत की। जिसके 116 साल बाद यही बैंक 1969 में स्टैंडर्ड चार्टेड बैंक बन गया। खास बात ये रही जब उन्हें 1960 में भारत का पहला बजट पढऩे के बुलाया गया तो उसके पांच महीनों के अंदर उनकी मौत भी हो गई। उन्हें कोलकाता में दफनाया गया।
जनता की इकोनॉमी में बदलने वाला बजट
7 अप्रैल 1860 का दिन देश की इकोनॉमिक हिस्ट्री के लिए अहम दिन माना जाता है। जेम्स विल्सन पर भारत से कैसे ब्रिटिश खजाने को दोबारा भरने का भारी दबाव था। उन्होंने बजट की सभी औपचारिक चीजों के अलावा इनकम टैक्स एक्ट का ऐलान किया। यह देश की जनता के लिए नया कानून था। वैसे अंग्रेजी हुकूमत भारतीयों से टैक्स वसूलती थी। लेकिन वो कोई निश्चित नहीं था। जेम्स विल्सन का यह नया एक्ट अंग्रेजी सरकार के लिए एक बड़ा वरदान साबित हुआ। सरकार ने इसे लागू किया और हुकूमत ने अपने खजाने को भरना शुरू कर दिया। मौजूदा समय में नए मॉर्डन इनकम टैक्स की नींव इसी बजट से पड़ी थी।
कब-कब हुआ इनकम टैक्स में बदलाव
फाइनेंस मिनिस्टर जॉन मथाई बजट
आजाद भारत में पहली बार इसी बजट में इनकम टैक्स की दरें तय हुई। तत्कालिक फाइनेंस मिनिस्टर जॉन मथाई ने 10,000 रुपए तक की आमदनी पर लग रहे 1 आने ( चार पैसे ) के टैक्स में से एक चौथाई हिस्से यानी एक पैसेकी कटौती की थी। वहीं दूसरे स्लैब में 10,000 ज्यादा की आमदनी वालों पर लगने वाले टैक्स को 2 आने से घटाकर 1.9 आना किया था।
यशवंत राव चव्हाण बजट
वित्त मंत्री यशवंत राव चव्हाण ने 6000 रुपए तक की सालाना आमदनी को टैक्स स्लैब से बाहर किया। 70,000 रुपए से ज्यादा की आमदनी पर 70 फीसदी मार्जिनल टैक्स रेट तय किया। सभी श्रेणियों पर सरचार्ज एक समान 10 फीसदी किया गया। सबसे ऊपरी स्तर वाले स्लैब पर इनकम टैक्स और सरचार्ज मिलाकर कुल 77 फीसदी टैक्स हुआ। इस बजट में वेल्थ टैक्स बढ़ाया गया।
विश्वनाथ प्रताप सिंह बजट
इस बजट से पहले इनकम टैक्स में 8 स्लैब थे, जिसे वित्त मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 4 कर दिया। मार्जिनल टैक्स रेट 61.875 फीसदी से कम कर 50 फीसदी किया। 18000 रुपए की आमदनी वालों को टैक्स फ्री कर दिया। 18001 रुपए से 25000 रुपए तक की कमाई वालों पर 25 फीसदी और 25,001 रुपए से 50,000 रुपए की आय वालों पर 30 फीसदी टैक्स लगाया। 50,001 रुपये से 1 लाख रुपए सालाना आमदनी पर 40 फीसदी टैक्स की दिया गया। 1 लाख से ज्यादा कमाने वालों पर 50 फीसदी टैक्स किया गया।
मनमोहन सिंह का बजट
प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार के वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने टैक्स स्लैब को तीन हिस्सों में बांटा। सबसे निचले स्लैब में 30 हजार रुपए से 50 हजार रुपए तक की आमदनी वालों के लिए 20 फीसदी, दूसरे में 50 हजार से 1 लाख तक 30 फीसदी और 1 लाख से अधिक आमदनी वालों पर 40 फीसदी तय किया। मनमोहन सिंह ने नरसिम्हा राव की सरकार में एक बार फिर से टैक्स स्लैब में बदलाव किए। उन्होंने 1994-95 के बजट में इनकम टैक्स के पहले स्लैब में 35 हजार रुपए से 60 हजार रुपए तक 20 फीसदी, दूसरी स्लैब में 60 हजार से 1.2 लाख तक 30 फीसदी और 1.2 लाख रुपये से अधिक पर 40 फीसद टैक्स लगाया गया।
पी. चिदंबरम का बजट
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के इस बजट को ‘ड्रीम बजट’ कहा जाता है। उन्होंने टैक्स दरों में बदलाव करते हुए 15, 30 और 40 फीसदी से 10, 20 और 30 फीसदी कर दिया। साथ ही 40 से 60 हजार वालों को 10 फीसदी, 60 हजार से 1.5 लाख वालों को 20 फीसदी और इससे ज्यादा वालों को 30 फीसदी के दायरे में रखा गया। 2005-06 में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने एक बार फिर से देश के लोगों को बड़ी राहत दी। उन्होंने एक लाख तक कमाने वाले लोगों को टैक्स फ्री कर दिया। 1 से 1.5 लाख तक कमाने वालों पर 10 फीसदी, 1.5 लाख से 2.5 लाख वालों को 20 फीसदी और 2.5 लाख से ज्यादा कमाने वालों पर 30 फीसदी टैक्स रखा गया।
प्रणब मुखर्जी का बजट
यूपीए 2 के दौर में इस बार बजट प्रणब मुखर्जी ने बजट पेश किया और देश के लोगों को राहत देने की कोशिश की। उन्होने स्लैब में बदलाव करते हुए 1.6 लाख तक कमाने वालों को टैक्स के दायरे बाहर कर दिया। 1.6 लाख से 5 लाख तक वालों पर 10 फीसदी, 5 लाख से 8 लाख वालों पर 20 फीसदी और 8 लाख से ज्यादा वालों पर 30 फीसदी टैक्स लगाया गया। 2012-13 के बजट में प्रणब मुखर्जी ने शून्य टैक्स वाले स्लैब को 1.8 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया। 2 लाख से 5 लाख रुपये सालाना कमाने वालों पर 10 फीसद और 5 लाख से 10 लाख की आय करने वालों को 20 फीसद टैक्स स्लैब में रखा गया। 10 लाख से ज्यादा आमदनी वाले लोगों पर 30 फीसदी टैक्स लगाया गया।
अरुण जेटली का बजट
यह मोदी सरकार का पहला बजट था। फाइनेंस बिल 2015 पास होने के बाद वेल्थ टैक्स को खत्म कर दिया गया। वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वानों पर 2 फीसदी सरचार्ज लगा दिया। 2017-18 के बजट में अरुण जेटली ने 2.5 लाख से 5 लाख तक वालों पर 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी टैक्स किया। आयकर कानून, 1961 के सेक्शन 87ए में रीबेट को 2.5 लाख से 3.5 लाख किया और 5 हजार से घटाकर 2.5 हजार कर दिया गया। जिसकी वजह से 3 लाख रुपए तक कमाई करने वालों पर आयकर लगभग खत्म हो गया। साथ ही 3 लाख से 3.5 लाख तक कमाने वालों के लिए टैक्स 2,500 रुपए रह गया।
पीयूष गोयल का अंतरिम बजट
फरवरी में मोदी सरकार की ओर से अंतरिम बजट पेश किया। इस बजट को पीयूष गोयल ने पेश किया था। उस समय उनके पास वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार था। पीयूष गोयल ने 5 लाख तक के आय वालों को टैक्स फ्री करने की घोषणा की। इसके अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ा दिया गया था।
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