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जानिए बजट पेश करने से पहले क्यों मनाई जाती है हलवा सेरेमनी, ये है वजह

locationनई दिल्लीPublished: Jan 20, 2019 04:48:26 pm

Submitted by:

manish ranjan

मोदी सरकार का कर्यकाल कुछ ही महीनों में पूरा होने को हैं। ऐसे में वित्त मंत्री अरुण जेटली इस सरकार का पहला अंतरिम बजट 1 फरवरी 2019 को पेश करेंगे।

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जानिए बजट पेश करने से पहले क्यों मनाई जाती है हलवा सेरेमनी, ये है वजह

नई दिल्ली। मोदी सरकार का कर्यकाल कुछ ही महीनों में पूरा होने को हैं। ऐसे में वित्त मंत्री अरुण जेटली इस सरकार का पहला अंतरिम बजट 1 फरवरी 2019 को पेश करेंगे। लेकिन बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री एक अहम परंपरा को निभाते हैं। इसके बाद ही बजट को संसद में पेश किया जाता हैं। ये है हलवा सेरेमनी इस सरेमनी में वित्त मंत्री हलवा बनाकर अपने विभाग में बांटते हैं। इसके बाद ही आधिकारिक तौर पर बजट छपाई के लिए भेजा जाता है।

इतने दिन पहले होती है हलवा सेरेमनी

बजट की छपाई से पहले हर साल वित्तमंत्री ये हलवा तैयार करते हैं। हलवा सेरेमनी में वित्तमंत्री अरुण जेटली के अलावा मुख्य वित्त सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन, वित्त मामलों के सचिव सुभाष गर्ग, राज्य वित्तमंत्री शिव प्रताप शुक्ला और अन्य अधिकारी भी मौजूद रहते हैं। यह रस्म दिल्ली ने नॉर्थ ब्लॉक में हर साल मनाई जाती है। आमतौर पर हलवा सेरेमनी बजट से 10 दिन पहले होती है।

इसलिए मनाई जाती है हलवा सेरेमनी

आपको बता दें कि हलवा सेरेमनी को बजट दस्‍तावेजों की छपाई की शुरुआत से पहले मनाया जाता है। इस रस्‍म में एक बड़ी कढ़ाही में हलावा तैयार किया जाता है। इस हलवे को मंत्रालय के सभी कर्मचारियों के बाटा जाता है। इस हलवा सेरेमनी को मनाने के पीछे की मुख्य वजह यह है कि हर शुभ काम को करने से पहले कुछ मीठा खाना चाहिए। इसलिए ही बजट को प्रिंटिंग के लिए भेजने से पहले इस परंपरा को निभाया जाता है। साथ ही भारतीय परंपरा में हलवे को काफी शुभ भी माना जाता है।

कर्मचारियों को सारी दुनिया से कर दिया जाता है अलग

हलवा बांटे जाने के बाद वित्‍त मंत्रालय के ज्‍यादातर अधिकारी और कर्मचारियों को मंत्रालय में ही पूरी दुनिया से अलग रहना होता है। ये वे कर्मचारी होते हैं जो बजट की प्रिंटिंग करते हैं। बजट की छपने की प्रक्रिया के शुरू होने से लेकर बजट के संसद में रखे जाने तक इन अधिकारियों को किसी से भी संपर्क करने की इजाजत नहीं होती है। उन्हें फोन करने की भी इजाजत नहीं होती और किसी को उनसे मिलने की मंजूरी नहीं होती है।

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