मालूम हो कि मेड इन इंडिया योजना के तहत घरेलू उत्पाद निर्माताओं को बढ़ावा देने के मकसद से सरकार ने ये कदम उठाया है। सरकार का मानना है कि इंपोर्टेड चीजों पर कस्टम ड्यूटी लगाने से लोकल बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा। इससे मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में क्रांति आएगी। मगर शाॅर्ट टर्म में एलईडी एवं उससे संबंधित अन्य प्रोडक्ट्स महंगे हो सकते हैं। चूंकि ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स को चीन, साउथ कोरिया और वियतनाम से मंगाया जाता है। मगर कस्टम ड्यूटी को दोगुना किए जाने से उत्पाद 10 पर्सेंट तक महंगे हो जाएंगे।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एलईडी लाइटनिंग सेक्टर करीब 10,000 करोड़ रुपए का है। इसमें करीब 60 प्रतिशत हिस्सा कंज्यूमर सेक्टर का है। जबकि बाकी 40 परसेंट कमर्शियल लाइटनिंग का है। ऐेसे में उपभोक्ताओं के जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। क्योंकि बल्ब बनाने वाली कंपनियां अपने बोझ को कम करने के लिए इसकी कीमतों में इजाफा करेंगी।