इसके तहत, अधिकारियों का ध्यान उन प्रफेशनल्स पर भी है जो अपनी फी कैश में लेते हैं और अपनी सही आमदनी को नहीं दिखाते हैं। हालांकि ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें पकड़ में लाना इतना आसान नहीं है। इसलिए इनकम टैक्स विभाग ने रिटर्न भरने से लेकर उसके फॉर्म में कई तब्दीली की है। गौरतलब है कि ऐसे लोगों में कई सीनियर सिटिजन भी शामिल हैं जो अपनी कर योग्य आय में ब्याज से मिली रकम को शामिल नहीं करते या रिटर्न ही फाइल नहीं करते।
एफडी में निवेश पर ब्याज
देश में ज्यादातर लोग बचत खाते और एफडी में निवेश को पहली पसंद मानते है। एफडी पर फिलहाल अधिकतर बैंक 6.25 फीसदी का रिटर्न देते हैं। हालांकि कई ऐसे स्कीम है जहां ज्यादा ब्याज मिलता है।
टैक्स बेस बढ़ाना मकसद
सरकार ने यह कदम देश में टैक्स के बेस को बढ़ाने के प्रयास के तहत उठाया जा रहा है। इसमें उन पेशेवरों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, जो नकद में अपनी कमाई करते हैं और एक भव्य जीवन शैली के बावजूद भी अपनी सटीक आय का खुलासा नहीं करते। विभाग कई एजेंसियों से मिलने वाले कई आंकड़ों के जरिये उन करदाताओं की पहचान करेगा, जिनकी ब्याज से होने वाली आय उनके सालाना खातों में दिखती नहीं है या वे जानबूझकर उनका खुलासा नहीं करते हैं।
कैसे पता लगाएगा विभाग
दरअसल ब्याज से होने वाली आय को अधिक टिकाऊ स्रोत माना जाता है। टैक्स विभाग के अधिकारी एफडी पर टीडीएस काटने वाले बैंकों से उपलब्ध जानकारी को हासिल कर रहे हैं। जिसमें पाया गया कि कई मामलों में 10 फीसदी कर का भुगतान किया जाता है, विभाग तेजी से ऐसे लोगों की लिस्ट बना रही है।