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बड़े शहर नहीं, गांव दे रहे हैं इकोनॉमी को रफ्तार, जानिए कैसे

locationनई दिल्लीPublished: Dec 24, 2017 03:33:56 pm

देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में बड़े शहरों की अब तक अहम भूमिका रही है, लेकिन, अब यह ट्रेंड बदल गया है।

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नई दिल्ली. देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में बड़े शहरों की अब तक अहम भूमिका रही है, लेकिन, अब यह ट्रेंड बदल गया है। सरकार के ग्रामीण क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर अधिक जोर देने और छोटे शहरों के लोगों में पूंजी बाजार में निवेश के प्रति जागरुक होने से गांव अब देश की अर्थव्यवस्था को गति देने का काम कर रहे हैं। कार्वी वेल्थ की’इंडिया वेल्थ रिपोर्ट-2017Óके अनुसार बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहर और ग्रामीण क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था को गति दे रहे हैं।
ग्रामीण भारत ने देश की अर्थव्यवस्था के इंजन के रूप में काम करना शुरू कर दिया है। मोबाइल फोन, इंटरनेट का उपयोग, ऑटोमोबाइल और रोजमर्रा की उपभोक्ता वस्तुओं की मांग के मामले में ग्रामीण भारत शहरी क्षेत्रों को पछाड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ उपभोग में ही नहीं बल्कि बैंङ्क्षकग और वित्तीय सेवाओं की मांग में भी ग्रामीण भारत शहरी इंडिया को पीछे छोड़ रहा है।
ग्रामीण एरिया में बढ़ा निवेश
ग्रामीण क्षेत्रों से बैंक जमा, म्युचुअल फंड निवेश और बीमा प्रीमियम संग्रह में भी तेजी आ रही है। म्युचुअल फंड में व्यक्तिगत निवेश में 27 फीसदी हिस्सेदारी छोटे शहरों के निवेशकों की है। रांची, मदुरै, सिलीगुड़ी, जबलपुर, भावनगर, गोरखपुर, वास्को, बिलासपुर , शिलाँग और खडग़पुर जैसे शहरों में म्युचुअल फंड की मांग में जबरदस्त तेजी आयी है। इसके साथ ही’बी-15Óश्रेणी के शहरों जैसे लुधियाना, नागपुर, इंदौर, पटना, भुवनेश्वर, कोचीन, राजकोट, गुवाहाटी, कोयंबटूर और नासिक के लोगों में पूंजी बाजार सहित विभिन्न वैकल्पिक क्षेत्रों में निवेश करने की लालसा बढ़ी है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्युचुअल फंड कंपनियों को शहरी भारत तक ही खुद को सीमित न रखते हुये इससे बाहर निकलकर दूसरे इलाकों में भी पहुंच बढाने के लिए प्रेरित किया है। इसका परिणाम है कि अब छोटे शहरों के निवेशक न सिर्फ म्युचुअल फंड बल्कि पूंजी बाजार के अन्य वर्ग में भी निवेश करने लगे हैं। Þम्यूचुअल फंड सही हैÞ अभियान ने भी पूरे देश में जागरूकता फैलाने में मदद की है।
38 फीसदी बढ़ा निवेश

रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2016 से सितंबर 2017 के बीच’बी-15Óशहरों का संपदा प्रबंधन (एयूएम) 38 प्रतिशत वृद्धि के साथ 2.74 लाख करोड़ रुपए से बढकर 3.79 लाख करोड रुपए तक पहुंच गया। इसी अवधि में 15 बड़े शहरों के एयूएम में 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही। इसमें कहा गया है कि अगले पांच साल में म्युचुअल फंड निवेश में वार्षिक 17.77 प्रतिशत की वृद्धि का पूर्वानुमान है। इसमें छोटे शहरों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।’बी-15Óशहर सिर्फ म्यूचुअल फंड तक ही सीमित नहीं रहेंगे। छोटे शहरों के लोग बड़े पैमाने पर वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) में निवेश कर रहे हैं।
एआईएफ के लिए सितंबर 2016 से सितंबर 2017 महत्वपूर्ण साल रहा है। इस दौरान उनके एयूएम में 90 प्रतिशत की बढोतरी हुई और यह इससे पहले के 12 महीने के 50,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 96,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
अन्य वित्तीय सेवाओं का प्रदर्शन भी अच्छा रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक जमा में भी ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक तेजी रही। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों से बैंक जमा में जहां 31 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई। वहीं अद्र्ध-शहरी क्षेत्रों में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 26 प्रतिशत रही। सावधि जमा में ग्रामीण क्षेत्रों ने शहरी क्षेत्रों को पछाड़ दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसमें 21.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि अद्र्ध-शहरी क्षेत्रों में 19.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 16.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
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