scriptस्टैंडर्ड खातों में तब्दील हुआ NPA, 3 लाख करोड़ रुपए के फंसे कर्ज के समाधान से 71 हजार करोड़ की हुई वसूली | NPA transformed into standard accounts 71,000 crore rupees recovered | Patrika News

स्टैंडर्ड खातों में तब्दील हुआ NPA, 3 लाख करोड़ रुपए के फंसे कर्ज के समाधान से 71 हजार करोड़ की हुई वसूली

locationनई दिल्लीPublished: Nov 25, 2018 01:19:11 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत समाधान के लिए अब तक 9 हजार से अधिक मामले आए हैं। कॉर्पोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने बताया कि आईबीसी की करीब 3 लाख करोड़ रुपये की फंसी परिसंपत्तियों पर असर हुआ है।

Insolvency and Bankruptcy Code

स्टैंडर्ड खातों में तब्दील हुआ NPA, 3 लाख करोड़ रुपए के फंसे कर्ज के समाधान से 71 हजार करोड़ की हुई वसूली

नई दिल्ली। दिसंबर 2016 में लागू हुए दिवालिया कानून के जरिए अब तक 3 लाख करोड़ रुपए के फंसे कर्ज का समाधान करने में मदद मिली है। ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत समाधान के लिए अब तक 9 हजार से अधिक मामले आए हैं। कॉर्पोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने बताया कि आईबीसी की करीब 3 लाख करोड़ रुपये की फंसी परिसंपत्तियों पर असर हुआ है। श्रीनिवास ने कहा कि 3,500 से अधिक मामलों को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में लाने से पहले ही सुलझा लिया गया। जिससे 1.2 लाख करोड़ रुपये के दावों का निपटारा हुआ।
71,000 करोड़ रुपए की हुई वसूली

श्रीनिवास का कहाना है कि, ‘करीब 1,300 मामलों को समाधान के लिए रखा गया है और इनमें से 400 के आसपास मामलों में कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 60 मामलों में समाधान योजना को मंजूरी मिल गई है, 240 मामलों में परिसमापन के आदेश दिए गए हैं जबकि 126 मामलों में अपील की गयी है। इन मामलों से 71,000 करोड़ रुपए की वसूली हुई है।’
उन्होंने कहा, ‘कानून की समाधान प्रक्रिया के तहत प्राप्त राशि और जल्द मिलने वाली राशि को यदि जोड़ लिया जाये तो कुल 1.2 लाख करोड़ रुपये आए हैं। इसमें यदि एनसीएलटी प्रक्रिया में आने से पहले ही सुलझा लिए गये मामलों को भी जोड़ दिया जाये तो यह राशि 2.4 लाख करोड़ रुपए हो जाएगी।’
स्टैंडर्ड खातों में तब्दील हुए एनपीए

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिन खातों में मूल और ब्याज की किश्त आनी बंद हो गई थी और वह गैर-मानक खातों में तब्दील हो गए थे। कानून लागू होने के बाद इनमें से कई खातों में किश्त और ब्याज आने लगा और ये खाते एनपीए से बदलकर स्टैंडर्ड खाते हो गए हैं। ऐसे खातों में कर्जदार ने बकाये का भुगतान किया है। यह राशि 45 हजार से 50 हजार करोड़ रुपये के दायरे में है।
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