71,000 करोड़ रुपए की हुई वसूली श्रीनिवास का कहाना है कि, ‘करीब 1,300 मामलों को समाधान के लिए रखा गया है और इनमें से 400 के आसपास मामलों में कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 60 मामलों में समाधान योजना को मंजूरी मिल गई है, 240 मामलों में परिसमापन के आदेश दिए गए हैं जबकि 126 मामलों में अपील की गयी है। इन मामलों से 71,000 करोड़ रुपए की वसूली हुई है।’
उन्होंने कहा, ‘कानून की समाधान प्रक्रिया के तहत प्राप्त राशि और जल्द मिलने वाली राशि को यदि जोड़ लिया जाये तो कुल 1.2 लाख करोड़ रुपये आए हैं। इसमें यदि एनसीएलटी प्रक्रिया में आने से पहले ही सुलझा लिए गये मामलों को भी जोड़ दिया जाये तो यह राशि 2.4 लाख करोड़ रुपए हो जाएगी।’
स्टैंडर्ड खातों में तब्दील हुए एनपीए इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जिन खातों में मूल और ब्याज की किश्त आनी बंद हो गई थी और वह गैर-मानक खातों में तब्दील हो गए थे। कानून लागू होने के बाद इनमें से कई खातों में किश्त और ब्याज आने लगा और ये खाते एनपीए से बदलकर स्टैंडर्ड खाते हो गए हैं। ऐसे खातों में कर्जदार ने बकाये का भुगतान किया है। यह राशि 45 हजार से 50 हजार करोड़ रुपये के दायरे में है।