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ऐसे करें रिटायरमेंट प्लानिंग और जीएं सुकून की जिंदगी

locationनई दिल्लीPublished: Aug 21, 2017 01:40:00 pm

स्वास्थ्य सेवाओं की लागत बढऩे और जल्दी सेवानिवृत्ति की महत्वाकांक्षा बढऩे के मद्देनजर यह और महत्वपूर्ण हो गया है।

Retirement Planning

नई दिल्ली। सेवानिवृत्ति योजना का अर्थ है रोजगार के बाद वित्तीय तौर पर सुकूनदेह, स्वतंत्र जीवन जीना। स्वास्थ्य सेवाओं की लागत बढऩे और जल्दी सेवानिवृत्ति की महत्वाकांक्षा बढऩे के मद्देनजर यह और महत्वपूर्ण हो गया है।


मान लें कि अगले 25 साल में पांच प्रतिशत मुद्रास्फीति रहेगी तो तब 50,000 रुपए का मूल्य 1,69,000 रुपए होगा। इसलिए, यदि एक परिवार का खर्च 50,000 रुपए प्रति माह है तो उसे आज से 25 साल बाद अपने जीवनकाल तक कम से कम 20 साल मान लें तो 1,69,000 रुपए प्रति माह की जरूरत होगी। यह समझना जरूरी है कि सेवानिवृत्ति के लिए नियोजन की शुरुआत करने के लिए कोई भी समय जल्दी नहीं होता। एक अच्छे रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए ये 5 बातें जाने जरूरी है।

 

स्वास्थ्य की देखभाल के लिए योजना

सेवानिवृत्ति के बाद स्वास्थ्य की देखभाल के लिए औसतन करीब 20 प्रतिशत व्यय आवंटित किया जाना चाहिए। इसलिए जब सेवानिवृत्ति कार्पस बनाएं तो मेडिकल के खर्चे शामिल हों।

 

कंपांउडिंग की ताकत का फायदा उठाएं

आइंस्टीन ने कहा था कि चक्रवृद्धि ब्याज (कंपाउंड इंटरेस्ट) दुनिया का आठवां आश्चर्य है। जो इसे समझता है लाभ कमाता है। जो नहीं समझता भुगतता है। आम आदमी की जबान में कहें तो नियमित तौर पर निवेश की गई छोटी सी राशि अगले कुछ सालों में विशाल संपत्ति में बदल सकती है। इसलिए जल्दी शुरू करने से ही सारा फर्क पड़ता है। मसलन यदि आप 20 साल की उम्र में 5,000 रुपए प्रति माह का निवेश शुरू करते हैं तो 12 प्रतिशत की दर से चक्रवृद्धि ब्याज की दर पर 60 साल में जब आप सेवानिवृत्ति होंगे तो आपके पास 5.93 करोड. रु. की संपत्ति होगी।

 

अनुशासित निवेश दिलाएगा अच्छा रिटर्न

खर्च करने के बाद जो बचे उससे निवेश न करें बल्कि बचत के बाद जो बचे उसे खर्च करें। कुछ भी हो अपने पूरे कार्यशील जीवन में सेवानिवृत्ति के लिए हर महीने कुछ निश्चित राशि जरूर अलग करनी चाहिए। नियमित तौर पर किए गए इस छोटे निवेश से कंपाउंडिंग के जादू के कारण लंबी अवधि में विशाल राशि मिलती है। इसे व्यवस्थित निवेश योजना को सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) कहते हैं। एसआईपी का निवेश सीधे इक्विटी या इक्विटी से जुड़े म्युचुुअल फंड में किया जाना चाहिए जो मुद्रास्फीति के असर से मुक्त करने वाला पर्याप्त मुनाफा देते हैं।

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