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अब सरकारी बैकों ने देश संवारने का उठाया बीड़ा, अब करने जा रहे हैं ये काम

locationनई दिल्लीPublished: Dec 17, 2018 05:40:30 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

स्वामित्व वाले उधारदाताओं ने अपनी भर्ती योजनाओं को दोगुना कर दिया है। उन्होंने व्यवसाए को बढ़ाने के लिए और नई प्रतिभाओं को निखारने का काम सरकारी बैंकों के हाथों में दे दिया है।

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अब सरकारी बैकों ने देश संवारने का उठाया बीड़ा, अब करने जा रहे हैं ये काम

स्वामित्व वाले उधारदाताओं ने अपनी भर्ती योजनाओं को दोगुना कर दिया है। उन्होंने व्यवसाए को बढ़ाने के लिए और नई प्रतिभाओं को निखारने का काम सरकारी बैंकों के हाथों में दे दिया है। इस प्रक्रिया में एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक को यह सुनहरा मौका मिला है। इस नई बैंकिंग प्रक्रिया को विकसित करने के लिए वित्तीय वर्ष में एक लाख लोग हिस्सा लेंगे।
सरकारी बैंक अब धन प्रबंधन, विश्लेषिकी और डिजिटल सेवाओं जैसे विशेष कार्यों के साथ-साथ अपनी प्रतिभा को भी निखारेंगे। आज के समय में प्रतिस्पर्धी बाजार में अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए ऐसे सभी क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अब क्लर्क की संख्या कम हो गई है और अधिकारियों की संख्या बढ़ गई है।
आज की बैंकिंग व्यवस्था में कुल कर्मचारियों में से लगभग 20 प्रतिशत लोग क्लर्क की श्रेणी में आते हैं। केवल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ही एक ऐसा बैंक है, जिसके पास लगभग 45 प्रतिशत कर्मचारी क्लर्क हैं। जो देश की सबसे बड़ी स्टाफिंग कंपनियों में से टीम लीज का अनुमान दिखाते हैं। इन सभी स्थितियों को देखते हुए अब बैंकिंग प्रक्रिया को विकसित करने के साथ-साथ निजी और बहुराष्ट्रीय प्रतिभा को भर्ती करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।सिंडिकेट बैंक की औसत आयु दो साल पहले 46.5 थी जो अब घटकर 37.5 हो गई है।

इसके साथ ही बढ़ती जटिलताओं के साथ, नई विशेषज्ञता और आवश्यकताओं में भी वृद्धि हुई है। इन सभी कारणों से उधारदाता, मुख्य विपणन अधिकारी, मुख्य निवेश अधिकारी, मुख्य शिक्षा अधिकारी, विश्लेषिकी के प्रमुख और डिजिटल विपणन प्रचारक जैसे लोग भी निजी खिलाड़ियों से प्रतिभा ले रहे हैं।
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