शर्तों का करना होगा पालन, होम फाइनेंस कंपनियों को भी राहत रिजर्व बैंक ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि एनबीएफसी और एचएफसी की ओर से जारी बॉन्ड की परिपक्वता अवधि तीन साल से कम नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही इस तरह बॉन्ड के लिए बैंकों की ओर से क्रेडिट बढ़ाने से हुई कमाई को मौजूदा कर्ज की अदायगी के लिए नया ऋण लेने के लिए ही इस्तेमाल किया जा सकता है।
समय के साथ संकट गहराने की थी आशंका इस समय कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में 70 फीसदी से अधिक बांड एनबीएफसी के हैं। एनबीएफसी के मौजूदा नकदी संकट के चलते इन बॉन्ड पर डिफॉल्ट का जोखिम बढ़ गया है क्योंकि नकदी न होने के चलते कंपनिया परिपक्व होने वाले बैंकों का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं। ढांचागत ऋण क्षेत्र की कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एण्ड फाइनेंसियल सर्विसेस (आइएलएण्डएफएस) के अपनी देयताओं के भुगतान में असफल होने से यह स्थिति बनी है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने हाल ही में एक रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि यदि नकदी का यह संकट बना रहा, तो गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।
सरकार, आरबीआइ ने पहले भी दिया था भरोसा सितंबर में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि निवेशकों की चिंता को कम करने के लिए सरकार एनबीएफसी में तरलता बनाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी। इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक और बाजार नियामक सेबी ने भी कहा था कि वित्तीय क्षेत्र पर वह करीब से नजर रख रहे हैं। निवेशकों की चिंताओं को दूर करने के लिए वे हरसंभव कदम उठाने को तैयार हैं।