महीने के अंत में जारी होंगी गाइडलाइंस मौजूदा समय में बैंक ही इस बात का निर्णय लेते हैं कि ब्याज दर कब और कितनी बढ़ानी या घटानी है। लेकिन आरबीआई के इस निर्देश के बाद बैंक आरबीआई द्वारा रेपो रेट घटाने के तुरंत बाद ब्याज दर घटाने को बाध्य होंगे। बैंक द्वारा इसमें बदलाव तभी किया जाएगा जब ग्राहक के क्रेडिट रिस्क प्रोफाइल में कोई बदलाव हो। आरबीआई के आदेशानुसार, अब फ्लोटिंग रेट वाले सभी नए पर्सनल, रिटेल और एमएसएमई लोन को 1 अप्रैल 2019 से चार बाहरी बेंचमार्कों में से किसी एक से लिंक करना होगा। इस संबंध में फाइनल गाइडलाइंस दिसंबर अंत तक जारी की जाएंगी।
क्यों उठाया गया ये कदम ? मौजूदा समय में बैंक आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने पर ब्याज दर तुरंत बढ़ा देते हैं, लेकिन आरबीआई द्वारा जब रेपो रेट घटाई जाती है, तब बैंक ऐसा नहीं करते। इस बात को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने यह कदम उठाया। इस संदर्भ में पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने हर महीने एमसीएलआर तय करने की व्यवस्था भी लागू की थी।