आरबीआई ने दी जानकारी
आरबीआई ने (आरटीआई) ने जानकारी देते हुए बताया कि आठ नवंबर 2016 को 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोटों को बंद करने का अप्रत्याशित निर्णय किया गया था, लेकिन लोगों की सहूलियत के लिए सरकार ने 23 सेवाओं के बिलों का भुगतान करने के लिए कुछ समय तक छूट दे रखी थी। सरकार ने कहा था कि आप किछ समय तक पुराने नोटों से भुगतान कर सकते हैं।
इन संस्थानों पर थी छूट
आपको बता दें कि सरकार ने देश के सरकारी अस्पताल, रेल, सार्वजनिक परिवहन, हवाई अड्डों पर विमान टिकट, दुग्ध केंद्रों , श्मशान/कब्रिस्तान, पेट्रोल पंप, मेट्रो रेल टिकट, डॉक्टर के पर्चे पर सरकारी और निजी फार्मेसी से दवा खरीदने, एलपीजी गैस सिलेंडर, रेलवे खानपान, बिजली और पानी के बिल का भुगतान करने के लिए छूट दी थी।
देश में हुई थी नोटबंदी
आपको बता दें कि सरकार ने 25 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी का ऐलान किया था। सरकार ने 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोट बदलने पर रोक लगा दी थी और इन उक्त सेवाओं के लिए केवल सिर्फ 500 का पुराना नोट स्वीकार करने की अनुमति दी थी। यह अनुमति 15 दिसंबर 2016 तक के लिए दी गई थी। हालांकि , सरकार ने 2 दिसंबर 2016 से पेट्रोल पंप और हवाई अड्डों पर टिकट खरीदने में 500 रुपए के पुराने नोटों का इस्तेमाल भी रोक दिया था।
पुराने नोटों की नहीं है जानकारी
आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ने कहा कि बिलों के भुगताने के लिए इस्तेमाल किए गए पुराने नोटों के संबंध में हमारे पास जानकारी उपलब्ध नहीं है। आरबीआई ने पिछले साल अगस्त में कहा था कि 500 और 1,000 रुपए के 99.3 फीसदी नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए हैं। नोटबंदी के समय 500 और 1,000 रुपए मूल्य वाले 15.41 लाख करोड़ रुपए के नोट चलन में थे। इनमें से 15.31 लाख करोड़ रुपए के नोट बैंकों के पास वापस आ चुके हैं।
पुराने नोटों को लेकर पूछे गए सवाल
अमान्य या बदले गए पुराने नोटों की संख्या और मूल्य को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में रिजर्व बैंक ने 28 नवंबर 2016 को जारी बयान का हवाला दिया। इसमें कहा गया था कि 10 नवंबर से 27 नवंबर तक बैंकों में 8,44,982 करोड़ रुपए के चलन से बाहर किए जाने वाले नोट जमा किए गए हैं या बदले गए हैं। इसमें कहा गया था कि इनमें से 33,948 करोड़ रुपए के पुराने नोट बदले गए थे और 8,11,033 करोड़ रुपए जमा किए गए हैं।
केंद्रीय बैंक ने दी जानकारी
केंद्रीय बैंक ने कहा कि बैंकों के काउंटर पर निर्दिष्ट बैंक नोटों (एसबीएन) के बदलने की सुविधा 24 नवंबर, 2016 तक उपलब्ध थी। आरबीआई ने यह भी कहा कि उसके पास बीमा पॉलिसी जैसे केवाईसी अनुरूप उत्पादों को खरीदने में उपयोग किए गए एसबीएन की संख्या की जानकारी नहीं है। केंद्रीय बैंक ने आरटीआई के एक हिस्से को भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) को भी भेजा है । इरडा ने भी कहा है कि बीमा पॉलिसी के भुगतान में उपयोग होने वाले पुराने नोट के बारे में उसके पास जानकारी नहीं है क्योंकि प्राधिकरण ऐसे आंकड़े नहीं रखता।
( ये न्यूज एजेंसी से ली गई है। )