scriptRBI पॉलिसी रिव्यूः दिसंबर में और सस्ते हो सकते हैं आपके लोन | RBI Monetary policy review: Your Loan may be cheaper in December | Patrika News

RBI पॉलिसी रिव्यूः दिसंबर में और सस्ते हो सकते हैं आपके लोन

Published: Nov 30, 2016 11:56:00 am

माना जा रहा है कि ग्रोथ रेट को पटरी पर लाने और मार्केट लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए सरकार नीतिगत ब्याज दरों में और कटौती कर सकती है। ताकि लोग फिर से खर्च बढ़ाए और इंडस्ट्री को बूस्ट मिल सके…

Repo Rate Cut

Repo Rate Cut

नई दिल्ली. दिसंबर में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान देश के पूरी तरह से बदले हुए आर्थिक माहौल रेपो रेट में कटौती की जा सकती है। इस बार नोटबंदी के चलते बैंकों के पास पर्याप्त लिक्विडिटी है, ग्रोथ रेट को लेकर अनिश्चितताएं हैं, अमरीकी चुनाव के बाद वैश्विक समीकरण बदले हैं, पूंजी प्रवाह में अस्थिरता है और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में लड़खड़ाहट है। ऐसे में माना जा रहा है कि ग्रोथ रेट को पटरी पर लाने और मार्केट लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए सरकार नीतिगत ब्याज दरों में और कटौती कर सकती है। ताकि लोग फिर से खर्च बढ़ाए और इंडस्ट्री को बूस्ट मिल सके।

0.5 फीसदी तक हो सकती है कटौती

एक्सपर्ट्स की मानें तो यह कटौती 0.5 फीसदी तक की हो सकती है। इसका बड़ा असर भारत के इकोनॉमिक शटडाउन पर देखने को मिलेगा, ऐसा हुआ तो महंगाई में और गिरावट आ सकती है। अनुमान के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में रहने वाली संभावित मंदी के चलते ग्रोथ रेट 7.5 फीसदी से घटकर 6 से 6.5 फीसदी के बीच रह सकती है।

0.9 फीसदी घटी क्रेडिट ग्रोथ 

डिमोनेटाइजेशन के बाद अगले कुछ महीनों तक थोक मूल्य सूचकांक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में महंगाई गिरावट हो सकती है। जीएसटी की वजह से भी कीमतों में गिरावट आ सकती है। सीआरआर बढ़ोतरी के बावजूद बैंकों के पास कैश लिक्विडिटी अच्छी खासी है, ऐसे में रेपो कटौती से लोन सस्ते हो सकते हैं। इसके साथ ही सेविंग्स पर मिलने वाला ब्याज भी कम होने की आशंका है। हालांकि करंसी स्विचिंग के बाद पहली रिपोर्ट में क्रेडिट ग्रोथ 9.2 फीसदी से 8.3 फीसदी पर ही रह गई है।

कमोडिटी कीमतों में आया उछाल

बीते छह महीनों में कमोडिटी (खासतौर पर धातुओं की) कीमतों में उछाल देखने को मिला है। अमरीका में आर्थिक उतार-चढ़ाव के चलते इनमें आगे और बढ़ोतरी की संभावना है। इसके अलावा लगभग सभी सेक्टर्स में अतिरिक्त क्षमताएं अब कम हो रही हैं, साथ ही स्टॉक भी तेजी से खत्म हुए हैं। हालांकि इसका भारत पर कैसा असर पड़ेगा, यह तो अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन रुपया कमजोर हुआ तो भारत की आयात लागत बढ़ जाएगी।

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