संगोष्ठी आयोजन में कहीं ये बातें
आचार्य ने रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर पद से हाल ही में इस्तीफा देने की घोषणा की है। उन्होंने पूंजी बाजार को लेकर आयोजित संगोष्ठी में अपने संबोधन में ये बातें कही हैं। इसका आयोजन हैदराबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में किया गया। आचार्य ने इस अवसर पर कहा कि स्थिर वृद्धि और निम्न मुद्रास्फीति वृहद आर्थिक स्थायित्व के लिए दो पूर्व शर्तें हैं। ये दोनों चीजें बचत और पूंजी बाजार के वित्तीयकरण के लिए जरूरी हैं और अब ये दोनों ही चीजें देश में मौजूद हैं।
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पिछले कुछ समय से पूंजी बाजार में हो रही बढ़ोतरी
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि पूंजी बाजार के प्रमुख खंडों में पिछले कुछ दशक से लगातार वृद्धि देखी गई है। इनमें केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों (जी-सेक) राज्य विकास ऋण (एसडीएल) कंपनी बॉन्ड बाजार और इक्विटी बाजारों में प्राथमिक निर्गम, द्वितीयक बाजारों में शेयरों की खरीद-फरोख्त, बाजार पूंजीकरण और कारोबार में लगातार वृद्धि देखी गई है। इक्विटी बाजार हालांकि इसका सबसे बड़ा हिस्सा है, लेकिन हाल के वर्षों में जी-सेक और एसडीएल तथा कॉरपोरेट बॉन्ड में भी वृद्धि हुई है।
रिजर्व बैंक के वेबसाइट से मिली जानकारी
रिजर्व बैंक के वेबसाइट पर जारी एक वक्तव्य में आचार्य के हवाले से कहा गया है, ‘मुद्रास्फीति को लचीला लक्ष्य रखने जैसे महत्वपूर्ण सुधार को कच्चे तेल के कम दामों के साथ ही खाद्य पदार्थों की बेहतर आपूर्ति प्रबंधन से काफी मदद मिली। पिछले पांच साल के दौरान मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के मुकाबले नियंत्रित दायरे में रही है।’
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