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लोन लेने वालों के लिए खुशखबरी, 1 अप्रैल से लागू होने जा रहे नए नियम, अब ऐसे तय होंगी ब्याज दरें

अगर आप होम लोन या ऑटो लोन लेने के बारे में विचार कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत ही जरुरी है क्योंकि 1 अप्रैल 2019 से होम और ऑटो लोन पर लगने वाले ब्याज की व्यवस्था बदलने वाली है।

Mar 09, 2019 / 12:25 pm

Shivani Sharma

लोन लेने वालों के लिए खुशखबरी, 1 अप्रैल से लागू होने जा रहे नए नियम, अब ऐसे तय होंगी ब्याज दरें

नई दिल्ली। अगर आप होम लोन या ऑटो लोन लेने के बारे में विचार कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत ही जरुरी है क्योंकि 1 अप्रैल 2019 से होम और ऑटो लोन पर लगने वाले ब्याज की व्यवस्था बदलने वाली है। बैंक की ओर से अभी तक बढ़ी हुई दरें जारी नहीं की गई हैं।


अप्रैल से लागू होंगी नई दरें

आपको बता दें कि अप्रैल में आरबीआई रेपो रेट को कम कर सकता हैं, जिसके बाद बैंकों को भी अपनी ब्याज दरें घटानी होंगी। यहीं व्यवस्था छोटे कारोबारियों को दिए जाने वाले कर्ज पर भी लागू होगी। बैंक के ब्याज दर कम करने से देश की जनता को काफी राहत मिलेगी।


विशेषज्ञों ने दी जानकारी

एक्सपर्ट्स का मानना है कि फ्लोटिंग रेट लोन के लिए एक्‍सटर्नल बेंचमार्क के लिए rbi का प्रस्‍ताव काफी अच्छा है। इससे न सिर्फ MSME सेक्‍टर को फायदा होगा बल्कि फ्लोटिंग रेट पर होम और ऑटो लोन लेने वाले ग्राहकों को भी फायदा होगा। आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अपनी पॉलिसी में यह नियम बदल दिया है।


आरबीआई ने दी जानकारी

आरबीआई ने जानकारी देते हुए बताया कि अब से कर्ज लेने वालों के लिए विभिन्‍न कैटेगरी की फ्लोटिंग ब्‍याज दरें अब एक्‍सटर्नल बेंचमार्क से लिंक्‍ड होंगी। इसके साथ ही RBI ने एमसीएलआर को भी रिप्लेस करने के बारे में विचार किया है। आपको बता दें कि बैंक ने कहा कि इसको हम एक्‍सटर्नल बेंचमार्क से रिप्लेस करेंगे।


MCLR को करेंगे रिप्लेस

इसके साथ ही RBI ने डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी पॉलिसीज के बारे में बताते हुए कहा कि 1 अप्रैल 2019 से बैंक मौजूदा इंटरनल बेंचमार्क सिस्‍टम जैसे प्राइम लेंडिंग रेट, बेस रेट, मार्जिनल कॉस्‍ट ऑफ फंड बेस्‍ड लेंडिंग रेट (MCLR) की जगह एक्‍सटर्नल बेंचमार्क्‍स का इस्‍तेमाल करेंगे। RBI के इस निर्णय से नीतिगत दरों में कटौती होगी, जिसका सीधा लाभ ग्राहकों को मिलेगा।


अब हम आपको बताते हैं कि बैंक कैसे ब्याज दरों को तय करेगा-

1. बैंकों के पास सबसे पहला विकल्प रिजर्व बैंक द्वारा घोषित रेपो रेट के आधार पर दर तय करने का होगा।

2. इसके अलावा बैंक 91 दिनों या 182 दिनों की अवधि वाले सरकारी बॉन्ड पर जितना रिटर्न मिलता है उसकी ब्याज दर भी उतनी ही होगी।

3. इसके अलावा बैंक तीन संस्थाओं से मिलकर बने एफबीआईएल द्वारा तय मानक पर दर तय करें। आपको बता दें कि सरकारी बॉन्ड पर जो रिटर्न दिया जाता है वह भी एफबीआईएल के द्वारा ही तय किया जाता है।

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