सरकार जारी करेगी नए इनकम टैक्स फार्म, जानें कब से मिलने होंगे शुरू
जिसका मतलब है कि अब एनबीएफसी अपने लोन की रिस्ट्रक्चरिंग कर पाएंगी, लेकिन इन्हें इस श्रेणी के कर्ज के रूप में नहीं माना जाएगा जिसकी वजह से वो रियल एस्टेट कंपनियों को एक्स्ट्रा लोन दे पाएंगी। नियमों के मुताबिक माना जाएगा कि ये लोन नार्मल लोन है और इसका पेमेंट ऐसे कारणों से नहीं हो पाया जिन पर कंपनी या प्रमोटर्स का कंट्रोल नहीं है।
सितंबर 2019 तक रियल्टी सेक्टर पर एनबीएफसी का 1.3 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बकाया था। इसी प्रकार, जनवरी 2020 तक बैंकों ने इस सेक्टर की कंपनियों को 2.27 लाख करोड़ रुपये तक कर्ज दिया हुआ था।
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आपको मालूम हो कि पिछले साल नवंबर में सरकार ने डेवलपर्स के अधूरे प्रोजेक्टों को पूरा करने में मदद करने के लिए 25,000 करोड़ रुपये के वैकल्पिक निवेश फंड का एलान किया था। इस फंड के द्वारा डेवलपर्स को अंतिम छोर तक मदद करने की राहत देने का एलान किया गया था। इसके अलावा इस फंड में एसबीआई कैप की भूमिका सबसे अहम थी।
इस सेक्टर में काम करने वालों का कहना है कि “रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के कमर्शियल परिचालन की शुरुआत की तारीख बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है। इससे डेवेलपर्स का नकद प्रवाह बेहतर होगा और परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जाएगा।”