कारोबार

सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर एसबीआई प्रमुख ने दिया ये बड़ा बयान

एसबीआइ के अध्यक्ष रजनीश कुमार ने कहा है कि बैंक पर सरकार का स्वामित्व है या निजी क्षेत्र का यह कोई खास मायने नहीं रखता।

नई दिल्लीApr 19, 2018 / 05:17 pm

Manoj Kumar

नई दिल्ली। ‘सामाजिक बैंकिंग’ के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की जरूरत बताते हुए भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष रजनीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि देश अभी बड़े पैमाने पर निजीकरण के लिए तैयार नहीं है। कुमार ने दिल्ली में एक कंपनी को ओर से आयोजित माइंडमाइन सम्मेलन, 2018 में परिचर्चा के दौरान सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण पर पूछे गये प्रश्न के जवाब में कहा कि ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं है कि जो भी निजी क्षेत्र में है और अच्छा है। देश की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियां अभी बड़े पैमाने पर निजीकरण के अनुकूल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि आज से 20 साल बाद हम इसके लिए तैयार हों।
सामाजिक बैंकिंग भी करें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक

उन्होंने कहा कि बैंक पर सरकार का स्वामित्व है या निजी क्षेत्र का यह कोई खास मायने नहीं रखता। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वाणिज्यिक बैंकिंग के साथ सामाजिक बैंकिंग भी करनी होती है। वित्तीय समावेशन पर रजनीश कुमार ने कहा कि इस दिशा में काफी प्रगति हुई है। जब जनधन खाते खोले गए थे, उस समय निष्क्रिय खातों का अनुपात काफी ज्यादा था, लेकिन अब 85 फीसदी खाते सक्रिय हैं और उनमें लेनदेन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब हम उस मुकाम पर पहुंच गए हैं कि जनधन खातों की परिचालन लागत वसूल हो रही है।
साढ़े सात फीसदी की विकास दर काफी अच्छी

एसबीआई प्रमुख ने कहा कि भारत निश्चित रूप से ऊंची विकास दर के लिए तैयार है। अपेक्षा के स्तर पर हम नौ से साढ़े नौ फीसदी के बीच की विकास दर की बात कर सकते हैं, लेकिन मैं समझता हूं कि साढ़े सात फीसदी की विकास दर अच्छी दर है और बिना मुद्रास्फीति के दबाव के लगातार इस दर से विकास संभव है।
 

नकदी की कमी के लिए लोग जिम्मेदार
उधर एसबीआई के अध्यक्ष रजनीश कुमार ने एक सवाल के जवाब में कहा कि देश के कुछ हिस्सों में उत्पन्न नकदी की समस्या के लिए लोग जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि हम बैंक से पैसे निकाल रहे हैं, लेकिन उसे वापस बैंक में जमा नहीं करा रहे हैं। ऐसी स्थिति में इतने बड़े देश में कितने भी नोट कम पड़ जाएंगे।देश के सबसे बड़े बैंक के प्रमुख ने कहा कि इसके अलावा नकदी की कमी के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं। पिछली दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ी है। इससे लोगों ने ज्यादा पैसे निकाले हैं। साथ ही एक तरफ किसानों को उनकी फसल के भुगतान के लिए आढ़ती पैसे निकाल रहे हैं तो दूसरी ओर किसान भी अगली फसल की तैयारी के लिए पैसे निकाल रहे हैं। हालांकि, रजनीश ने यह भी कहा कि इसका कोई एक कारण तय कर पाना मुश्किल है और हम सिर्फ अनुमान ही लगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह समस्या देशव्यापी नहीं है। यह कुछ हिस्सों तक सीमित है।

Home / Business / सरकारी बैंकों के निजीकरण को लेकर एसबीआई प्रमुख ने दिया ये बड़ा बयान

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.