8 साल पुराना मामला
ये मामला साल 2010 में तब शुरू हुआ जब बेंगलुरू के एमजी रोड स्थित केनरा बैंक शाखा ने नर्इ दिल्ली के आरके ढिंगरा नामक एक शख्स के खिलाफ केस दर्ज कराया था। बैंक ने यह केस 30 हजार रुपए के क्रेडिट भुगतान नहीं करने को लेकर कराया था। बैंक के दावे के मुताबिक इस शख्स को 30,454 रुपए का क्रेडिट भुगतान बकाया है। बैंक द्वारा लगाए गए आरोप के मुताबिक ढिंगरा को ‘कैनकार्ड’ क्रेडिट कार्ड जारी किया गया था। उन्होंने इस कार्ड का इस्तेमाल 12 मार्च 2006 अौर 21 मार्च 2007 को किया था।
कानूनी नोटिस का जवाब न देने पर बैंक ने दर्ज कराया केस
क्रेडिट कार्ड भुगतान का समय पूरा होने के बाद बैंक ने आरके ढिंगरा को कानूनी नोटिस भी भेजा था जिसका उन्होंने कोर्इ जवाब नहीं दिया। इसके बाद बैंक ने उनके खिलाफ केस दर्ज कराया। बैंक ने दावा किया है कि नियमों के मुताबिक ढिंगरा को 15 दिनों के अंदर बकाए का भुगतान करना था। लेकिन वो इसका समय से भुगतान नहीं कर पाए इसलिए उन्हें अब इसपर ब्याज भी देना होगा। ये देय ब्याज 2.5 फीसदी प्रति माह की दर से लागू होगा।
कोर्ट ने ढिंगरा के पक्ष में सुनाया फैसला
हालांकि, साल 2011 में सिविल कोर्ट ने बैंक के दावे को खारिज कर दिया था। इसके बाद बैंक ने उसी साल हार्इ कोर्ट में गुहार लगाया था। हार्इ कोर्इ इस मामले पर अपना अंतिम फैसला इस साल यानी 2018 में गत 29 अक्टूबर को सुनाया था। हार्इकोर्ट में बैंक ने दावा किया कि निचली अदालत ने सबूतों आैर जरूरी कागजातों को पर्याप्त नहीं माना था। चूंकि, ढिंगरा ने कानूनी नोटिस का जवाब नहीं दिया था तो इसका मतलब है कि उन्होंने क्रेडिट का इस्तेमाल किया है।
हार्इकोर्ट ने खारिज की बैंक की अर्जी
निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए आैर बैंक के दावों को खरिज करते हुए हार्इ कोर्ट ने कहा है, “किसी भी कागजात से यह साबित नहीं हो पार रहा है कि आरके ढिंगरा ने बैंक में क्रेडिट कार्ड का आवेदन किया था। निचली अदालत ने इस बात का सही रूप से संज्ञान लिया है।” बैंक ने अपने फैसले में कहा है कि आरके ढिंगरा की तरफ से किसी भी गैर-कानूनी काम नहीं किया गया है।