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सितंबर 2017 में गठित किया गया था यह टास्क फोर्स
बता दें कि सितंबर 2017 में प्रत्यक्ष कर को लेकर बहस शुरू हुई थी। इसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अब समय आ गया है कि करीब आधी सताब्दी से भी अधिक पुरानी प्रत्यक्ष कर प्रणाली में हमें कई बड़े बदलाव करने की जरूरत की गई है। प्रधानमंत्री ने उस दौरान कहा था कि देश की आर्थिक हालात व जरूरतों को देखते हुए नए प्रत्यक्ष टैक्स कोड (डीटीसी) को लाने की जरूरत है। इसी पर काम करते हुए 22 नवंबर 2017 को वित्त मंत्रालय ने 6 सदस्यीय एक टास्क फोर्स का गठन किया था।
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ये हैं पैनल के सदस्य
टास्क फोर्स के सदस्यों में अखिलेश रंजन के अतिरिक्त, गिरिश आहुजा भी शामिल हुए हैं जो कि पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट है। अर्नेस्ट एंड यंग के चेयरमैन व क्षेत्रीय प्रबंधन पार्टनर राजीव मेमानी, अहमदाबाद में टैक्स एडवोकेट मुकेश पटेल, मानसी केडिय़ा, व रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट जीसी श्रीवास्तव भी इस पैनल का सदस्य हैं। छह सदस्यीय इस पैनल को 22 मई में भी अपनी एक रिपोर्ट जमा करनी जिसे भी पिछले साल अगस्त तक के लिए समय मांगा गया था। हालांकि, टास्क फोर्स के कन्वेनर अरबिन्द मोदी जो कि सीबीडीटी के भी सदस्य हैं, 30 सितंबर को रिटायर्ड हो गए थे।
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यूपीए सरकार ने भी बिल किया था पेश
इसके बाद सरकार ने अखिलेश रंजन को इस पैनल का नया अध्यक्ष नियुक्त किया था। एनडीए से पहले यूपीए सरकार ने भी डीटीसी की एक ड्राफ्ट को तैयार किया था जिसे संसद में 2010 को पेश किया गया था। हालांकि, उस दौरान यह बिल लैप्स हो गया। उस दौरान तत्कालीन सरकार ने इस बिल के माध्यम से टैक्स सिस्टम को पहले से बेहतर बनाने का दावा किया गया है। यूपीए सरकार ने दावा किया था कि इस बिल को कानून बन्द हो जाने के बाद टैक्स का आधार बढ़ेगा और कई तरह के छूट भी मिलेंगे।